भोपाल, 4 जून (आईएएनएस)। आमजन की समस्या के निदान में तकनीक किस तरह और हद तक मददगार हो सकती है इसका उदाहरण पेश किया है मध्य प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त ने। यहां व्हाट्सएप कॉल पर सुनवाई हुई और वर्षो से लंबित पड़े प्रकरण का निपटारा हो गया और जरुरतमंद की पानी की समस्या का निदान हो गया।
मामला रीवा जिले का है। यहां के सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से दलित बस्ती नेवरिया में नलकूप खनन के संदर्भ में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। उन्होंने जानना चाहा था कि क्षेत्र के लिए नलकूप लगाने की योजना कब बनी और उसकी वर्तमान स्थिति क्या है, मगर अधिकारियों ने जानकारी देने में आनाकानी की। जिस पर यह मामला राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के पास पहुंचा।
राज्य सूाचना आयुक्त कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सूचना आयुक्त सिंह ने इस मामले की गंभीरता को समझा और उस पर आवश्यक कार्रवाई की। वैसे सूचना के अधिकार की अपील पर 30 दिन में जवाब मांगने का प्रावधान है मगर मामला व्यक्ति के जीवन से जुड़ा हुआ हो तो उस पर 48 घंटें में जवाब मांगा जा सकता है। इसी आधार पर सूचना आयुक्त सिंह ने पीने के पानी को जीवन जीने का संवैधनिक अधिकार मानते हुए इस मामले में तत्काल पीएचई के कार्यपालन यंत्री शरद सिंह और वरिष्ठ अभियंता ए एल चौधरी को सुनवाई का नोटिस जारी किया, तब पीएचईडी के अधिकारी हरकत में आए।
राज्य सूचना आयुक्त सिंह ने आईएएनएस केा बताया, “आरटीआई कार्यकर्ता ने इस मामले को ट्वीटर पर ट्वीट किया। ट्वीट को देखकर लगा कि यह अपील स्वीकार करने योग्य है। इस पर आगे की कार्रवाई की गई। आवेदक ने ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से ऑनलाइन अपील की, निर्धारित शुल्क जमा किया, उसके बाद अपील को स्वीकार कर लिया गया। आयोग में प्रावधान है कि तीन सेट में आवदेन करना होता है, राशि जमा करने के साथ आवेदक को उपस्थित होना होता है, मगर मामला गंभीर होने पर प्रावधान को शिथिल कर ऑनलाइन ही अपील स्वीकार कर ली गई।”
बताया गया है कि सूचना आयुक्त का नोटिस मिलते ही 24 घंटे के भीतर नलकूप खनन का काम शुरू हो गया। वहां पानी भी निकल आया।
सूचना आयुक्त सिंह ने बताया कि गुरुवार की रात को पीएचईडी के अभियंता के साथ आवदेक की व्हाटसएप कॉल पर सुनवाई हुई। अभियंताओं ने बताया कि नलकूप खनन का काम हो गया है, पानी भी निकल आया है।
सूचना के अधिकार के मामले में तकनीक के जरिए ऑनलाइन सुनवाई का यह राज्य का पहला मामला है। इससे जहां एक ओर समय की बचत हुई है वहीं दूसरी ओर सरकारी खर्च व आवेदक का खर्च भी बचा है। वहीं कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन हो गया। सूचना आयुक्त सिंह ने तय किया है कि आगामी समय में अपील की ऑनलाइन सुनवाई पर जोर दिया जाएगा।
–आईएएनएस
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