भोपाल, 16 जनवरी (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा विधानसभा चुनाव के लिए तैनात की गई टीम एक बार फिर जमीनी स्तर पर सक्रिय हो गई है। कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव जैसे नतीजे दोहराना चाहती है।
राज्य में डेढ़ दशक में भाजपा की सरकारों ने अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई और यही कारण था कि भाजपा को हराना कांग्रेस के लिए आसान नहीं था। इसी के चलते कांग्रेस ने चुनाव से लगभग एक साल पहले से जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू कर दी थी। पार्टी महासचिव दीपक बावरिया के अलावा वर्षा गायकवाड़, सुधांशु त्रिपाठी, जुवेर खान, हर्षवर्धन सकपाल, संजय कपूर को जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर हालात का आकलन करने और सीधे हाईकमान को रिपोर्ट भेजने का अभियान चलाया। कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई की पहचान विवाद और गुटबाजी की रही, यही कारण रहा कि पार्टी ने वरिष्ठ नेता कमलनाथ को अध्यक्ष बनाया और उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा और उसके बाद उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया।
कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद नए पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की चर्चा जोरों पर थी। पार्टी के बड़े नेताओं के दिल्ली जमावड़े ने एक बार फिर कांग्रेस की गुटबाजी को हवा दी, मगर कमलनाथ ने खुद यह कहकर इन चर्चाओं पर विराम लगा दिया कि दिल्ली में इस मसले पर कोई चर्चा ही नहीं हुई है।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने और सरकार बनने के बाद से राहुल टीम पर्दे के पीछे थी, मगर एक बार फिर सक्रिय हो गई है और उसने जमीन पर जाकर लोगों की राय लेनी शुरू कर दी है।
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने इन नेताओं को आगामी एक माह के भीतर लोकसभा चुनाव के लिए सक्षम और जनता की पसंद वाले उम्मीदवारों के नाम खोजने का जिम्मा सौंपा है। टीम राहुल के सभी छह सदस्य उन क्षेत्रों में फिर सक्रिय हो गए हैं, जिस क्षेत्र की जिम्मेदारी उनके पास है।
राजनीतिक विश्लेषक संतोष गौतम ने कहा, “राज्य में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था, अब राज्य में उसकी सरकार है, वे चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में लगे हैं। आगामी चुनाव केंद्र सरकार की नीतियों, योजनाओं और घोषणाओं पर अमल के अलावा राज्य में कांग्रेस सरकार के वादों के आधार पर लड़े जाएंगे। कांग्रेस अगर वादे पूरे करने में सफल होती है और केंद्र की नाकामियों को सही ठहराने में सफल होती है तो नतीजे उसके पक्ष में हो सकते हैं।”
राज्य में अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 230 सीटों में से 114 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं भाजपा 109 सीटों पर सिमटी थी। कांग्रेस को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला, मगर उसने सपा, बसपा और निर्दलियों के सहयोग से सरकार बना ली। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस सरकार को लंगड़ी सरकार कहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह इस तरह की सरकार नहीं बनाना चाहते, वह तो बहुमत वाली सरकार बनाएंगे।
वहीं राज्य के पिछले लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो एक बात साफ होती है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस के कमलनाथ छिंदवाड़ा से और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से निर्वाचित हुए थे। शेष सभी 27 सीटों पर भाजपा जीती थी। उसके बाद एक उपचुनाव में जो रतलाम संसदीय क्षेत्र का था, वहां कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया निर्वाचित हुए थे। अब कांग्रेस आंकड़ों में बदलाव की कोशिश में है, वहीं भाजपा अपनी बढ़त बनाए रखने के लिए जोर-आजमाइश कर रही है।
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