मप्र में विधानसभा उपचुनाव की आहट

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भोपाल, 8 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के 24 विधानसभा क्षेत्रों में अब उपचुनाव की आहट सुनाई देने लगी है, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव प्रस्तावित जिलों के कलेक्टरों को तैयारी के निर्देश जारी कर दिए हैं औरउपचुनाव प्रक्रिया और मतदान की तारीखों का ऐलान जल्द होने की संभावना जताई है।

राज्य के 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव प्रस्तावित हैं। इनमें से 22 वे स्थान हैं, जहां के तत्कालीन विधायकों ने कांग्रेस छोड़ने के साथ विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। वहीं दो विधायकों का निधन होने के कारण सीटें रिक्त हुई हैं। जिन जिलों में उपचुनाव होना है, वे हैं- मुरैना, भिंड, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, अशोकनगर, गुना, सागर, अनूपपुर, रायसेन, इंदौर, धार, मंदसौर व आगर मालवा।

कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते इस बात की आशंकाएं जोर पकड़ने लगी थीं कि राज्य में होने वाले उपचुनाव को टाला जा सकता है। मगर संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, विधायकों के इस्तीफे के छह माह के भीतर उपचुनाव आवश्यक होता है। इसलिए अक्टूबर तक विधानसभा उपचुनाव हो जाना चाहिए। उपचुनाव को आगे ले जाने की चर्चा और आशंकाओं के बीच चुनाव आयोग द्वारा कलेक्टरों को जारी निर्देश इस बात का संकेत दे रहे हैं कि उपचुनाव तो समय पर ही होंगे।

राज्य के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अरुण कुमार तोमर द्वारा जिलाधिकारियों को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव की घोषणा निकट भविष्य में हो सकते हैं। साथ ही, पूर्व में 29 जून, 2019 और मार्च, 2019 को जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा गया है।

सूत्रों का कहना है कि इन निर्देशों में तीन साल से ज्यादा अवधि से एक जगह जमे अफसरों-कर्मचारियों के फेरबदल का जिक्र है।

राज्य में इन 24 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव सियासी तौर पर काफी मायने रखते हैं, क्योंकि ये नतीजे सरकार के भविष्य को भी प्रभावित कर सकते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि भाजपा पूर्ण बहुमत तभी हासिल कर पाएगी, जब वह इन 24 में से कम से कम नौ सीटें जीतने में सफल हो जाएगी।

राज्य में विधानसभा की 230 सीटें हैं। इस समय भाजपा के पास 107 विधायक हैं, वहीं कांग्रेस के पास 92 विधायक हैं। इसके अलावा सपा, बसपा व निर्दलीय विधायकों की संख्या सात है। सत्ताधारी पार्टी को बहुमत के लिए 116 विधायकों की जरूरत है, इस समय भाजपा के पास पूर्ण बहुमत के आंकड़े से नौ विधायक कम हैं। सरकार के स्थायित्व के लिए उसे 24 में से कम से कम नौ सीटें तो बिल्कुल चाहिए।

–आईएएनएस

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