भोपाल, 17 जनवरी (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार को एक माह का कार्यकाल पूरा कर लिया है। बीता एक माह विवाद, चुनाव में किए गए वादों को पूरा करने की शुरुआत के साथ राजनीतिक दाव-पेंच से शिकस्त देने के लिए तानाबाना बुनने वाला रहा।
राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ ने 17 दिसंबर को शपथ ली थी। शपथ लेने के पहले दिन ही कमलनाथ ने कांग्रेस की ओर से चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने की शुरुआत की। किसानों की कर्जमाफी फाइल पर हस्ताक्षर कर राज्य में लगने वाले उद्योगों में 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को देने का नियम अनिवार्य करने की घोषणा की।
कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष सैयद जाफर ने सरकार के एक माह पूरा होने पर कहा है कि राज्य में पुलिसकíमयों को साप्ताहिक अवकाश मिलना शुरू हो गया है, आध्यात्मिक विभाग बनाने के आदेश जारी हुए हैं, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की राशि बढ़ाकर 51 हजार रुपये की गई, आशा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगियों की प्रोत्साहन राशि में वृद्धि और सड़कों पर घूमने वाली गौमाता के लिए गौशाला निर्माण कराया जा रहा है।
बीते एक माह में कमलनाथ की सरकार को राजधानी के वल्लभ भवन के उद्यान में होने वाले सामूहिक ‘वंदे मातरम्’ गान पर अघोषित रोक लगाए जाने से उपजे विवाद में सरकार की खूब किरकिरी हुई, जिसे लेकर भाजपा ने हमले बोले। इसके चलते सरकार को यूटर्न लेना पड़ा। जाफर का कहना है कि राज्य सरकार राष्ट्रगीत का भव्य आयोजन करने वाली है।
एक तरफ जहां सरकार को ‘वंदे मातरम्’ पर यूटर्न लेना पड़ा, उसी तरह मीसाबंदियों की पेंशन बंद करने के फैसले में भी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है। सरकार अब भौतिक सत्यापन के बाद पेंशन देने की बात कर रही है। दूसरी ओर, सरकार ने कर्जमाफी के किसानों के आवेदन भरवाने का सिलसिला शुरू कर दिया है।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नई सरकार ने जनकल्याणकारी योजनाएं बदलीं तो वे सड़क पर उतरकर संघर्ष करेंगे। किसानों से जो वादे किए गए वह पूरे नहीं हो रहे हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने पाला प्रभावित किसानों के बीच पहुंचने का सिलसिला जारी रखा है।
उन्होंने कहा, “शीतलहर के प्रकोप के कारण आलू, धनिया, चना, गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। यह दुख का विषय है कि सरकार ने किसान को अब तक राहत पहुंचाने का कोई काम नहीं किया है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि किसानों को तत्काल राहत पहुंचाए, अन्यथा आंदोलन का रास्ता अपनाना होगा।”
जानकारों की मानें तो सत्ता में आई कांग्रेस के लिए वचनपत्र में किए गए वादों को पूरा करना आसान नहीं है।
कांग्रेस ने शुरुआत कर लोगों में भरोसा पैदा करने की कोशिश की है, मगर यह भरेासा कब तक कायम रहेगा, यह बड़ा सवाल है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं है। वादे पूरे नहीं हुए तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान भी हो सकता है और विधानसभा चुनाव की तरह उसे लोकसभा में सफलता मिलना कठिन हो सकता है।
गौरतलब है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 29 में से सिर्फ दो सीटें ही कांग्रेस के पास आई थीं, बाद में एक उपचुनाव भी कांग्रेस ने जीता था।
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