मप्र : ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों की दिवाली काली

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 खंडवा, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)| देश और दुनिया में दिवाली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। मगर मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर बांध से प्रभावित दो हजार से ज्यादा परिवारों के लिए इस बार की दिवाली काली है।

 उनकी जिंदगी हर दिन, हर पल अंधेरे की तरफ बढ़ रही है, इसलिए वे जल सत्याग्रह कर रहे हैं। दो जिलों के कई गांव नर्मदा नदी के पानी में डूब रहे हैं। वे प्राकृतिक आपदा के कारण नहीं, बल्कि मानव जनित विकास की प्रक्रिया के चलते संकट में हैं।

ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से खंडवा और देवास जिले के विभिन्न गांवों के दो हजार से ज्यादा परिवारों की जिंदगी संकट में पड़ गई है। बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के सरकार के फैसले के खिलाफ खंडवा जिले के कामनखेड़ा गांव में प्रभावित परिवार के सदस्यों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है। धनतेरस से शुरूहुए इस सत्याग्रह का रविवार को तीसरा दिन है।

जल सत्याग्रह कर रहे लोगों ने शनिवार रात पानी में खड़े रहते हुए हाथ पर दीप जलाकर दिवाली मनाई और सरकार के रवैए के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की।

आंदोलनकारियों ने रविवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ और नर्मदाघाटी मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल हनी को पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते हुए ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर पुनर्वास कार्य पूरा कराए बगैर बढ़ाया जा रहा है। जब सरदार सरोवर बांध का जलस्तर बढ़ा था, तब राज्य सरकार ने केंद्र और गुजरात सरकार के रवैए की जमकर आलोचना की थी, मगर यह फैसला तो राज्य सरकार का ही है।

आंदोलनकारियों के हस्ताक्षर युक्त पत्र में कहा गया है, “इस परियोजना से प्रभावित 2000 परिवारों को हक मिलना बाकी है, घोघल गांव की चार दिन से बिजली काट दी गई है, गांव में अंधेरा है, पीने के पानी का संकट गहराने लगा है, गांव तक जाने के रास्ते में चार फुट पानी भरा हुआ है। पूरा प्रदेश दीपावली मना रहा होगा, तब अपना सर्वस्व त्याग करने वाले इस गांव के लोगों की सुनियोजित हत्या क्यों की जा रही है?”

पत्र में कहा गया है कि देवास जिले के गांव कोथमीर, धारडी के सैकड़ों आदिवासी परिवारों के घर और खेत पानी से घिर गए हैं, इसी तरह खंडवा का एखंड गांव भी पानी से घिरा हुआ है।

ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 193 मीटर से बढ़ाकर 196 मीटर करने के लिए जलस्तर बढ़ाया जा रहा है, 21 अक्टूबर से पानी बढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ। इसके विरोध में खंडवा के कामनखेड़ा में लोग जल सत्याग्रह कर रहे हैं।

आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक पूर्ण पुनर्वास नहीं हो जाता, तब तक पानी का स्तर 193 मीटर तक ही रहने दिया जाए और जब तक ऐसा नहीं होता, उनका जलसत्याग्रह जारी रहेगा, भले ही उनका शरीर गल क्यों न जाए।

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