नई दिल्ली, 10 दिसंबर (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को मुजफ्फरपुर के चार मंजिला आश्रय गृह को गिराने में दखल देने से इनकार कर दिया। मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में 34 बच्चियों के साथ यौन शोषण किया गया था। इस आश्रय गृह के ऊपर की कुछ मंजिलों में खिड़कियों के अलावा अन्य मंजिलों पर खिड़कियां नहीं थीं।
न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने याचिका ने खारिज कर दिया। मामले में वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने अदालत से कहा कि इमारत योजना की मंजूरी के बाद बनाई गई थी।
न्यायमूर्ति लोकुर ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर विचार करते हुए कहा, “रिपोर्ट में कुछ भी नहीं है।”
इस रिपोर्ट को मेडिकल बोर्ड ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह दुष्कर्म कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के जांच के बाद दिया था।
यह जांच ब्रजेश के परिवार द्वारा कथित तौर पर पटियाला उच्च सुरक्षा जेल में उसे मानसिक व शारीरिक रूप से यातना दिए जाने के बाद कराई गई थी।
इस मेडिकल टीम का गठन शीर्ष अदालत ने ब्रजेश ठाकुर की जांच व रिपोर्ट जमा करने के लिए किया था।
शीर्ष अदालत ने 30 अक्टूबर को ब्रजेश ठाकुर को भागलपुर जेल से पंजाब की पटियाला जेल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। ब्रजेश छोटा दैनिक अखबार ‘प्रात:कमल’ भी निकालता था। इस अखबार के लिए उसे नीतीश सरकार के करोड़ों के विज्ञापन मिला करते थे, जो उसकी आय का अतिरिक्त स्रोत था। इसी अखबार की ओट में वह सफेदपोश बना हुआ था। इस कांड से जुड़े एक मामले में नीतीश सरकार की मंत्री रहीं मंजू वर्मा जेल में हैं।
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