बिहार : नालंदा के इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश है वर्जित, चैत्र नवरात्रि में नहीं कर सकतीं पूजा-अर्चना

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देश भर में चैत्र नवरात्रि की धूम है। जगह-जगह मंदिरों में माता के दर्शन को लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। लेकिन इसी चैत्र नवरात्रि में एक मंदिर में ऐसी परंपरा भी है जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। यहां महिलाओं को भजन सुनने की अनुमति है लेकिन भगवान की पूजा की करने की अनुमति नहीं है।

बिहार के नालंदा जिले में एक मंदिर है माँ आशापुरी मंदिर घोसरावां, यहां  मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति नहीं है। चैत्र नवरात्र के दौरान महिलाएं इस मंदिर के गर्भगृह में पूजा नहीं कर सकतीं। यहां मंदिर में महिलाओं को भजन सुनने की अनुमति है लेकिन भगवान की प्रार्थना करने की अनुमति नहीं है। मंदिर के पुजारी ने परंपरा का बचाव करते हुए कहा कि महिलाओं को चैत्र नवरात्रि में मंदिर में प्रवेश की विशेष रूप से अनुमति नहीं है क्योंकि इन दिनों के दौरान ‘तांत्रिक’ गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।

साढ़े तीन सौ वर्ष पहले माता हुईं थी प्रकट

ग्रामीणों का कहना है कि तकरीबन साढ़े तीन सौ वर्ष पहले यहां पर माता की प्रतिमा अचानक प्रकट हुई थी। जब इस बात की जानकारी यहां के राजा घोष को मिली तो उन्होंने इसी स्थान पर माता का मंदिर का निर्माण कराया। राजा के द्वारा कराया गया मंदिर निर्माण के कारण इसका नाम घोसरावां गांव रखा। मंदिर के निर्माण के बाद लोगों ने पूजा पाठ करना प्रारंभ किया। राजा घोष तीन भाई थे। जिसके नाम पर घोसरावां, दूसरा बड़गांव व तेतरावां नाम पड़ा।

क्या है मंदिर का पौराणिक महत्व

आए दिन यहां पर पूजा के लिए किसी पर पाबंदी नहीं है। पर नवरात्र में यहां पर महिलाओं के लिए दस दिन तक प्रवेश वर्जित रहता है। ग्रामीणों की मानें तो दस दिन तक होने वाली पूजा का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्र के दौरान तांत्रिक लोग आकर यहां पर सिद्धि करते हैं। और उनका कहना है कि महिलाओं के प्रवेश होने पर उनका ध्यान भंग हो जाता है। इसलिए महिलाओं के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक रहता है। यह भी कहा जाता है कि जो महिलाएं जबरदस्ती मंदिर में प्रवेश करना चाहतीं है तो उनके साथ अप्रिय घटना हो जाती है। इस कारण भी लोग सहमे रहते हैं। यह परंपरा आदि काल से ही चली आ रही है।

गौरतलब है कि 6 से 14 अप्रैल तक देशभर में चैत्र नवरात्रि मनाई जा रही है। मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश का मामला इससे पहले भी सबरीमाला के समय सुर्खियों में रहा था।

This post was last modified on April 8, 2019 3:03 PM

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