National Girl Child Day 2021: आज भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जा रहा है। हर साल नेशनल गर्ल चाइल्ड डे या राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) हर साल 24 जनवरी को मनाने की परंपरा है। पहली बार इसे मनाने की पहल 2008 में हुई थी। 24 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन साल 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री (First female prime minister) के तौर पर शपथ ली थी।
महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय बालिका दिवस हमें बच्चियों के प्रति समाज में फैले असमानताओं और भेदभाव को समाप्त करने का संदेश देता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का उद्देश्य समाज में बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना है। साथ ही उनके साथ होने वाले भेदभाव के प्रति भी लोगों को जागरुक करना है। इस दिन राज्य सरकारों की ओर से कई जागरुक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
इन अभियानों से लोगों की मानसिकता को बदलने में मदद मिली है ,खासकर ग्रामीण इलाकों में लड़कियों की शिक्षा को लेकर काफी जागरुकता आई है। समाज के लोगों की मानसिकता पर इन अभियानों का काफी असर हुआ है। अब लोग लड़कियों को लड़कों के बराबर सम्मान और अधिकार दे रहे हैं।
नेशनल गर्ल चाइल्ड डे के अवसर पर लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर अलग-अलग तरह के अभियान चलाए जाते हैं। लोगों को नुक्कड़ नाटकों के जरिए जागरुक किया जाता है। आपको बता दें कि गांव ही नहीं फिलहाल पढ़े लिखे तपके में महिलाओं को लिंगभेद का सामना करना पड़ता है।
वर्तमान समय में भी केंद्र और राज्य सरकारें लड़कियों को समानता का हक दिलाने के लिए विभिन्न योजनाएं व कार्यक्रम चला रही हैं, जिनके चलते समाज में जागरुकता फैली है और लोगों ने लड़कियों की महत्ता को समझा है। पहले जहां लोग अपनी बच्चियों को घर से बाहर नहीं निकलने देते थे वहीं आज विभिन्न क्षेत्रों में लड़कियों की भागीदारी देखी जा सकती है।
भले ही आज देश की बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहीं है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी बालिकाओं का जन्म परिवार पर बोझ माना जाता है, लेकिन समाज में बेटियों की महत्वपूर्ण भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बेटियां हर मायने में विशेष और भगवान का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा हैं, इसलिए बेटियों के सम्मान में बेटी दिवस मनाया जाता है। इस दिन बेटियों को खास होने का एहसास दिलाया जाता है, उनकी सराहना की जाती है और उन्हें इस बात का विश्वास दिलाया जाता है कि वह लड़कों की तरह ही खास और हर तरह से सक्षम है।
घरेलू और सामाजिक स्तर पर होती हिंसा से लड़कियों को बचाने के लिये सरकार द्वारा जो Domestic Violence Act 2009, Prohibition of Child Marriage Act 2006 and Dowry Prohibition Act 2006 (एक्ट) बनाए गए, वे सराहनीय हैं। इससे लड़कियों के प्रति होने वाली हिंसा में काफी कमी आई है।
– लड़कियों को समाज में बराबरी का हक दिलाना।
– उन्हें समाज में सम्मान दिलाना।
– इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना भी है कि लड़कियों को उनके सारे मानवाधिकार दिये जा रहे हैं या नहीं।
-लड़कियों और लड़कों के बीच बढ़ते लिंगानुपात को कम करने के लिए और लड़कियों के प्रति लोगों की सोच बदलने के भाव से।
-लड़कियों से जुड़ी समस्याओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण से लोगों को जागरुक करने के लिए।
-बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ: साल 2015 में पानीपत से शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य गिरते लिंगानुपात के मुद्दे के प्रति लोगों को जागरुक करना है।
-राजीव गांधी योजना (सबला)
साल 2011 में शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य किशोरियों को सबल बनाना है। भारत के 200 जिलों में यह योजना चलाई जा रही है। इस योजना के अंतर्गत किशोरियों को स्वास्थ के प्रति जागरुक किया जाता है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना:
– इस योजना का शुभारंभ 2004 में हुआ था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य 75% अनुसूचित जाति/जनजाति/अत्यन्त पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं तथा 25% गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार की बच्चियों का दाखिला कराना है |
-योजना का मुख्य उद्देश्य ऐसी बालिकाओं पर ध्यान देना है, जो विद्यालय से बाहर हैं तथा जिनकी उम्र 10 वर्ष से ऊपर है।
आज लड़कियां सैन्य क्षेत्र के साथ-साथ अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। लड़कियों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव एक अच्छा संकेत है, लेकिन अभी हमारा काम पूरा नहीं हुआ है। लड़कियों के सामाजिक उत्थान के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
This post was last modified on January 24, 2021 10:35 AM
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