नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट में आत्महत्या (suicide) से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। एनसीआरबी डाटा के मुताबिक साल 2017-2018 में बेरोजगारी (Unemployment) की वजह से खुदकुशी करने वाले लोगों ने किसान आत्महत्याओं को भी पीछे छोड़ दिया है। NCRB की इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में 12,936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। इसी साल किसान आत्महत्या के आंकड़ों को देखें तो 10,349 किसानों ने खुदकुशी की थी।
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार देश में बेरोजगारी की वजह से साल 2018 में रोजाना औसतन 35 लोगों ने आत्महत्या की है। इस तरह से हर 2 घंटे में लगभग 3 बेरोजगार खुदकुशी कर रहे हैं। इन आंकड़ों का विस्तार से अध्ययन करने पर पता चलता है कि 2018 में रोजाना लगभग 35 लोगों ने, 2017 में लगभग 34 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी की। साल 2016 में ये आंकड़ा 30 था।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी के चलते महिलाओं से ज्यादा पुरुषों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के आंकड़ों को देखें तो 82 फीसदी पुरुषों ने बेरोजगारी से तंग आकर अपनी इहलीला समाप्त कर दी। बेरोजगारी के कारण खुदकुशी के मामले में पहले नंबर पर केरल है। केरल में 1585 लोगों ने आत्महत्या की है। इसके बाद सबसे ज्यादा मामले तमिलनाडु (1579), महाराष्ट्र (1260), कर्नाटक (1094) और उत्तर प्रदेश (902) में दर्ज किए गए हैं।
गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने हाल ही में अपराध से जुड़े जो आंकड़े पेश किए वह काफी हैरान करने वाले हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में देश में खुदकुशी के मामलों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में आत्महत्या के 1 लाख 34 हजार 516 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में 1 लाख 29 हजार 887 लोगों ने खुदकुशी की थी। किसी भी तरह की आत्महत्या के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र (17,972) में दर्ज किए गए। दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमश: तमिलनाडु (13,896), पश्चिम बंगाल (13,255), मध्य प्रदेश (11,775) और कर्नाटक (11,561) है। इन पांच राज्यों में ही 50.9 फीसदी खुदकुशी के मामले दर्ज किए गए।
NCRB के आंकड़े कहते हैं कि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मेघालय, गोवा, चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में साल 2018 के दौरान किसी किसान, खेतिहर मजदूर ने आत्महत्या नहीं की है।
साल 2017 के आंकड़ों को देखें तो बेरोजगारी से परेशान 12 हजार 241 लोगों ने आत्महत्या की थी जबकि खेती-किसानी में घाटे से परेशान 10, 655 लोगों ने मौत को गले लगा लिया था। NCRB आंकड़ों के मुताबिक, 2016 के मुकाबले 2017 में किसानों की मौत के मामले में कमी देखी गई है। 2016 में 11 हजार 379 किसानों-खेतिहर मजदूरों ने अपनी जान दी थी, जबकि इसी अवधि में 11,173 बेरोजगारों ने खुदकुशी की थी।
This post was last modified on January 10, 2020 12:42 PM
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