भोपाल, 9 जुलाई (आईएएनएस)| पर्यावरणविद राजेंद्र सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया नदी बेसिन प्रबंधन विधेयक का प्रारूप राज्यों के लिए नुकसानदायक है, क्योंकि इससे नदियों पर राज्यों और समाज की साझेदारी खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जरूरी यह है कि राज्य सरकारें नदियों को बचाने के लिए जल सुरक्षा कानून बनाएं।
मध्य प्रदेश में जल अधिकार कानून बनाने के लिए चल रही कवायद पर सरकार के प्रतिनिधियों से चर्चा करने भोपाल पहुंचे राजेंद्र सिंह ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “केंद्र सरकार के नदी बेसिन प्रबंधन विधेयक से नदियों के पानी के उपयोग की मंजूरी देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा और विभिन्न कंपनियां केंद्र सरकार से अनुमति लेकर पानी का मनचाहा उपयोग करने लगेंगी।”
उन्होंने कहा, “नदियां केंद्र का विषय हैं, इसके बावजूद राज्यों और समाज की इसमें साझेदारी है। परंतु इस विधेयक के जरिए राज्य और समाज की साझेदारी खत्म हो जाएगी। इसलिए राज्यों को चाहिए कि वे अपना जल सुरक्षा कानून लाएं। ऐसा होने पर केंद्र के विधेयक को मानने की राज्यों को बाध्यता नहीं रहेगी। लेकिन अफसोस तो इस बात का है कि केंद्र के इस विधेयक का राज्य सरकारों ने विरोध नहीं किया है।”
सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा, “केंद्र सरकार के विधेयक में कंपनियों को लाभ पहुंचाने का छिपा एजेंडा है। इस विधेयक के जरिए कंपनियां नदियों के पानी का भरपूर उपयोग कर सकेंगी। पानी का व्यापार और बढ़ेगा।”
जलपुरुष के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र ने आरोप लगाया, “जल कानून का प्रारूप बनाते समय नदियों की गतिविधियों के बारे में सोचा-विचारा नहीं गया। यह कानून पूरी तरह इंजीनियरों ने बनाया है। नदियां हमारी सभ्यता, संस्कृति की संवाहक हैं, मगर इस कानून का प्रारूप बनाते समय इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया।”
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