नीतीश के महागठबंधन में लौटने की इच्छा के लालू के दावे को प्रशांत किशोर ने नकारा

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 पटना, 5 अप्रैल (आईएएनएसए)। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद की किताब ‘गोपालगंज टू रायसीना : माइ पॉलिटिकल जर्नी’ में किए गए इस दावे को लेकर बिहार में सियासी घमासान मचा हुआ है कि ‘नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़ने के छह महीने के भीतर ही उसमें वापसी करना चाहते थे’।

 बिहार के वरिष्ठ पत्रकार नलिन वर्मा के साथ मिलकर लिखी गई इस किताब में लालू ने दावा किया है कि नीतीश ने उस दौरान प्रशांत किशोर को उनके पास पांच बार भेजा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

इधर, पुस्तक में लालू के किए गए दावे को निराधार बताते हुए प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को कहा कि लालू खुद को चर्चा में बनाए रखने के लिए ऐसी बातें कर रहे हैं। किशोर ने ट्वीट कर कहा है कि लालू प्रसाद ने अपने आप को चर्चा में बनाए रखने के लिए एक नाकामयाब कोशिश की है। प्रशांत किशोर ने कहा कि लालू के अच्छे दिन अब पीछे रह गए हैं।

हालांकि, किशोर ने यह स्वीकार किया है कि जद (यू) में शामिल होने से पहले उन्होंने लालू प्रसाद से कई बार मुलाकात की थी।

जद (यू) के उपाध्यक्ष ने कहा, “मुलाकात के दौरान हम दोनों के बीच क्या-क्या बातें हुई मैंने इसका खुलासा किया तो लालू प्रसाद को काफी शर्मिदगी महसूस होगी।”

इधर, प्रशांत किशोर द्वारा लालू की पुस्तक में लिखे गए बयान पर ट्वीट कर दी गई प्रतिक्रिया के बाद बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी प्रसाद ने कहा कि प्रशांत किशोर बिना मतलब किसी से मिलने जाते हैं, क्या?

उन्होंने कहा, “पुस्तक में लिखी बातें एक सौ प्रतिशत सही हैं। नीतीश कुमार पुन: महागठबंधन में शामिल होना चाहते थे, जिसके लिए कई प्रकार के ऑफर भी दिए गए हैं।”

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनने के छह महीने बाद ही वे फिर से गठबंधन में आना चाहते थे।

गौरतलब है 2017 में तेजस्वी यादव के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ नई सरकार बना ली थी।

रूपा पब्लिकेशन इंडिया से प्रकाशित इस पुस्तक का अभी लोकर्पण होना है। पुस्तक के लेखक नलिन वर्मा से पूछने पर उन्होंने कहा कि अभी पुस्तक का लोकर्पण होना शेष है, जो भी बातें सामने आई है, वह सबके सामने हैं। उन्होंने कहा कि मात्र इतनी ही बातें पुस्तक में नहीं हैं, इसमें बहुत कुछ है।

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