जन्म के बाद राहुल गांधी को सबसे पहले गोद में उठाने वाली नर्स आई सामने, वायनाड से है रिश्ता

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जीवन कभी-कभी सुनहरे आश्चर्यों को आपके सामने रखता है। यहां कब क्या हो जाए किसी को खबर नहीं होती। कुछ ऐसा ही हुआ 72 वर्षीय राजम्मा वावाथिल के साथ। ऑउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार वायनाड की रहने वाली सेवानिवृत्त स्टाफ नर्स, वावथिल को इस बात की कोई भनक ही नहीं थी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, जिन्हें उन्होंने दिल्ली के अस्पताल के लेबर रूम में एक नवजात शिशु के रूप में देखा था, वो 48 वर्षों के बाद एक उम्मीदवार के रूप में उनकी जन्मभूमि पर आएंगे। लोकसभा चुनावों में केरल का वायनाड निर्वाचन क्षेत्र उस समय लाइमलाइट में आया जब राहुल गांधी ने अपने परिवारिक गढ़ अमेठी के अलावा, इस सीट को चुनाव लड़ने के लिए चुना। वावथिल ने कहा कि, “मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़ेंगे।

72 वर्षीय वावथिल आज भी उस दिन को याद करती हैं जब राहुल गांधी ने लेबर रूम में जन्म लिया, जहां वे डॉक्टरों और नर्सों की टीम के साथ मौजूद थी। उन्होंने बताया कि अगर मेरी याददाश्त सही है तो, वो 19 जून, 1970 का दिन था ।

वेवथिल ने उस समय नर्सिंग की डिग्री के बाद दिल्ली में होली फैमिली अस्पताल ज्वॉइन किया था। वे कहती हैं कि उस समय वे 23 साल की थी और गांधी परिवार के नए सदस्य से मिलने के लिए उत्सुक थी। उन्होंने कहा कि “आप प्रधानमंत्री के पोते के बारे में हमारी उत्तेजना की कल्पना कर सकते हैं। हम सभी रोमांचित थे,  राहुल एक प्यारा लड़का था और हम सभी ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया क्योंकि वह पीएम का पोता था।” वह गर्व से कहती है कि हम राहुल के माता-पिता से पहले भी उसे देखने वाले पहले व्यक्ति थे। सेवानिवृत्त नर्स का कहना है कि हालांकि सोनिया गांधी एक सेलिब्रिटी मरीज थीं, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों को सुरक्षा व्यवस्था के कारण किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा और परिवार ने अस्पताल के नियमों का पालन किया। सोनिया गांधी के लिए शायद ही कोई सुरक्षा थी। वो कहती हैं कि मैं सोनिया से दोपहर में लेबर रूम में मिला थी और उन्हेंने बहुत सहयोग किया। यह एक सामान्य प्रसव था। वावथिल ने बताया कि नर्सों, बाल रोग विशेषज्ञों और डॉक्टरों की एक टीम थी, जो अहमदाबाद में सेना में सेवा करने के बाद 1987 में केरल चले गए।

वह कहती हैं कि राजीव गांधी और संजय गांधी लेबर रूम के बाहर मौजूद थे, हालांकि अस्पताल ने उन्हें कमरे में प्रवेश करने की अनुमति दी थी। लेकिन उन्होंने बाहर इंतजार करने का विकल्प चुना, वह कहती हैं, कि वह दोनों भाइयों ने सफेद कुर्ता पहन रखा था।

वो बताती हैं कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जो उस समय पटना का दौरा कर रही थीं, तीन दिनों के बाद अपने पोते से मिलने अस्पताल आईं। वावथिल का कहना है कि प्रधानमंत्री ने नर्सरी में रखे बच्चे को देखने के लिए अस्पताल के किसी भी नियम को नहीं तोड़ा।

वायवाड से कांग्रेस अध्यक्ष की उम्मीदवारी के बारे में सुनकर वावथिल को खुशी हुई, लेकिन उन्हें इस बात का पछतावा है कि वह सुल्तान बैटरी में चुनाव अभियान के दौरान अपने पोते से नहीं मिल सकीं।

उन्होंने कहा कि “मैं जितनी जल्दी हो सके,  राहुल से मिलने के लिए उत्सुक हूं। मेरे पास उनके साथ साझा करने के लिए बहुत सी कहानियाँ हैं। मुझे यकीन है कि उनकी दादी और माँ ने शायद उनके साथ इन कहानियों को साझा नहीं किया होगा। वह कैसे पैदा हुए, आपकी आंखें कैसे खुलीं, आपको सबसे पहले हमने कैसे देखा, हमने आपकी देखभाल कैसे की, हमने आपको पीएम के पोते के रूप में कैसे संबोधित किया। उन्होंने राहुल गांधी को वोट देने के सवाल पर कहा कि, “अगर मैं अपने पोते के लिए वोट नहीं करूंगी, तो मैं और किसके लिए करूंगी”

72 वर्षीय वावथिल को विश्वास है कि वायनाड से कांग्रेस अध्यक्ष जीतेंगे और वह उन्हें अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती हैं।

वावथिल ने कहा कि वे राहुल को मिलने पर क्या बताएंगी, उन्हें नहीं पता। उन्होंने कहा कि मैंने उसे इन हाथों में ले रखा है, मैं उसे बता दूंगी। हालांकि , वावाथिल का कहना है कि इस निर्वाचन क्षेत्र को अस्पताल और अन्य बुनियादी ढांचे की सख्त जरूरत है।

वावथिल ने कहा कि मैं अपनी पहली बैठक में कोई मांग नहीं करूंगी। अगर हम दूसरी बार मिलते हैं, तो मैं वायनाड के मुद्दों के बारे में बात करूंगी। ”

This post was last modified on April 30, 2019 6:34 PM

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