नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को भारतीय विधि आयोग (लॉ कमीशन) का अध्यक्ष बनाने की मांग उठी है।
यह मांग भाजपा के अंदरखाने से ही उठने लगी है। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर जस्टिस रंजन गोगोई को इस पद के लिए सबसे उपयुक्त बताते हुए नाम पर विचार करने की मांग की है। उपाध्याय यह पत्र बीते दस फरवरी को लिख चुके हैं।
देश में वर्ष 2018 से ही लॉ कमीशन चेयरमैन का पद खाली चल रहा है। इससे पहले जस्टिस बलबीर सिंह चौहान इस पद पर थे, जिनका तीन वर्ष का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को ही पूरा हो गया था। इसके बाद से किसी चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो सकी है। बीते 19 फरवरी को मोदी सरकार की कैबिनेट ने 22वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी दी है। लिहाजा, अब आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति होनी है। ऐसे में जस्टिस रंजन गोगोई को चेयरमैन बनाने की मांग उठने के बाद हलचल तेज हो गई है।
दरअसल, भारतीय विधि आयोग केंद्र सरकार के आदेश से गठित एक कार्यकारी निकाय होता है जो न्यायिक मामलों में कानून मंत्रालय को सलाह देता है। इसका प्रमुख कार्य कानूनी सुधारों के लिए कार्य करना है। लॉ कमीशन कानूनों में संशोधन के साथ न्याय प्रणाली में सुधार लाने के लिए जरूरी अध्ययन और शोध का कार्य भी करता है, ताकि मुकदमों की सुनवाई कम से कम समय में हो। देश की न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए भारतीय विधि आयोग की सिफारिशें बहुत अहम होती हैं।
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने आईएएनएस से कहा, “देश में साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित चल रहे हैं। वहीं सैकड़ों कानून अंग्रेजों के जमाने से आज भी अमल में हैं। ऐसे में लॉ कमीशन की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। विधि आयोग ही मुकदमों के समय से निपटारे से लेकर अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को खत्म करने और संशोधन में अहम भूमिका निभाता है।”
उन्होंने कहा, “1860 की आईपीसी हो, 1861 का पुलिस एक्ट हो या फिर 1872 का एविडेंस एक्ट आज भी चल रहे हैं। इस तरह के एक नहीं सैकड़ों कानून आज भी चल रहे हैं, जिनके कारण मुकदमों की सुनवाई में देरी से जनता को समय से न्याय नहीं मिल पा रहा है। ऐसे कानूनों में सुधार की जरूरत है। संविधान का 20 प्रतिशत हिस्सा आज भी लागू नहीं हो सका है। आर्टिकल 44 हो या 351 आज भी लागू नहीं हो पाए हैं। ऐसे में लॉ कमीशन चेयरमैन की नियुक्ति होने से इस दिशा में काम आगे बढ़ सकता है।”
लॉ कमीशन चेयरमैन पद के लिए जस्टिस गोगोई ही क्यों? इस सवाल पर अश्निनी उपाध्याय कहते हैं, “सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गोगोई की कार्यशैली का मैं गवाह रहा हूं। मामलों की सुनवाई की उनकी स्पीड गजब है। उनके अंदर न्यायिक क्षमता कूट-कूटकर भरी है। अपनी तेजी और तत्परता के दम पर वह अपने कार्यकाल में कई पुराने से पुराने और जटिल मामलों का निपटारा करने में सफल हुए हैं। अगर जस्टिस रंजन गोगोई विधि आयोग के चेयरमैन बने तो फिर न्यायिक व्यवस्था में क्रांति आ सकती है। ऐसा मेरा मानना है।”
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