ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने प्रीतम सिंह के जीवन और योगदान को किया याद

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नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने एजुकेशन प्रमोशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (ईपीएसआई), एनएचआरडी नेटवर्क, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (बिमटेक) और मानव रचना विद्यांतरिक्ष के सहयोग से पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित दिवंगत प्रीतम सिंह की स्मृति में लीडरशिप कोलोक्वेयम (बातचीत) आयोजित की। स्व. सिंह आईआईएम लखनऊ और एमडीआई, गुड़गांव के पूर्व निदेशक थे।

सिंह के जीवन और विरासत को याद करते हुए जेजीयू के संस्थापक कुलपति सी.राज कुमार ने कहा, “प्रीतम सिंह न केवल एक ज्ञानी शिक्षाविद थे, बल्कि एक महान लीडर और इंस्टीट्यूशनल बिल्डर भी थे। पिछले कई वर्षों तक उन्होंने विश्वविद्यालयों और संस्थानों के प्रयासों को मार्गदर्शन दिया है। उनके निधन से हमारे देश और भारत के उच्च शिक्षा जगत को भारी नुकसान हुआ है।”

लीडरशिप कोलोक्वेयम के संबंध में प्रोफेसर कुमार ने कहा, “डॉ.प्रीतम सिंह के जीवन ने सामाजिक प्रभाव डाला है, खासकर शिक्षा के माध्यम से। एक सच्चे कर्मयोगी की तरह जिन्होंने उच्च शिक्षा और देश के निर्माण के विभिन्न पहलुओं में योगदान दिया। कई संगठनों के लीडर्स के ब्रेन को आकार दिया और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाली नीतियों को लागू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसीलिए यह कोलोक्वेयम व्यवसायों के जरिए सामाजिक दायित्वों को निभाने और उससे होने वाले सामाजिक प्रभावों पर चर्चा करके उनकी विरासत का सम्मान करने का हमारा विनम्र प्रयास है।”

इस कार्यक्रम में व्यवसायों की सामाजिक जिम्मेदारी के भविष्य की कल्पना करने और प्रीतम सिंह के जीवन और उनके योगदान से सीखने को लेकर उत्साहजनक और बौद्धिक विचार-विमर्श हुआ।

ईएससीपी बिजनेस स्कूल की फाइनेंस की इमेरिटस प्रोफेसर ज्योति गुप्ता ने डॉ.सिंह के जीवन की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे भारतीय दर्शन में भरोसा करते थे और सामाजिक रूप से जिम्मेदार लीडर्स तैयार करने के लिए उन्होंने इसे मैनेजमेंट स्कूलों में एकीकृत किया।

उन्होंने कहा, “जब आप एमडीआई और आईआईएम लखनऊ में उनकी डायरेक्टरशिप को देखते हैं, तो आप पाते हैं कि वे मैनेजमेंट शिक्षा में भारतीय दर्शन को साथ लाए हैं। डॉ. सिंह का मानना था कि ‘एक नेता को मूल्यवर्धक नहीं, बल्कि एक मूल्य निर्माता होना चाहिए’।

वक्ताओं ने सामाजिक दायित्वों जैसे कि कॉरपोरेट सोशल परफॉर्मेस (सीएसपी), सोशल रिस्पॉन्सिबल इन्वेस्टमेंट फंड्स (एसआरआई) और एन्वायरनमेंटल, सोशल एंड गवर्नेस (ईएसजी) पर भी चर्चा की।

येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के प्रोफेसर श्याम सुंदर ने कहा, “व्यवसाय में सभी प्रतिभागियों को गरिमा के साथ रहने, अपनी हेल्थ को मेंटेन रखने में सक्षम होना चाहिए।”

मानव संसाधन प्रबंधन टाटा स्टील लिमिटेड के उपाध्यक्ष सुरेश त्रिपाठी ने एक संगठन के लोकाचार और संस्कृति में सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाह करने के महत्व पर कहा, “यदि यह आपके विजन में है तो यह नीचे तक परकुलेट होता है और संगठन का डीएनए बन जाता है और सोच को प्रभावित करता है। व्यवसाय में आप जो कुछ भी करते हैं, उसके पीछे इस सोच का प्रभाव होता है। फिर चाहे आप उत्पाद बना रहे हों या सर्विस दे रहे हों। आप यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि इसमें एक सामाजिक मूल्य हो।”

इलाहाबाद बैंक इंडिया की पूर्व चेयरपर्सन शुभलक्ष्मी पानसे ने कहा, “सीएसआर पहल का मतलब सिर्फ 2 फीसदी पैसा खर्च करने तक सीमित नहीं है, बल्कि हम इसे एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भी देख रहे हैं कि इससे हम पूरे समुदाय में, पर्यावरण में, प्रकृति में क्या बदलाव ला रहे हैं।”

–आईएएनएस

एसडीजे/एसजीके

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