कुछ यूं हुई थी चांद की उत्पत्ति, नई रिसर्च में सामने आई यह बात

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चांद हर रात को कई ज्यादा खूबसूरत बनाता है। इसके अलावा यह धार्मिक लिहाज से भी अपना अलग महत्त्व रखता है। हमने चांद के बारे में कई कहानियां सुनी है। साथ ही इसके बारे में काफी पढ़ा भी है, लेकिन क्या हमने कभी इस बात पर गौर किया कि चांद अस्तित्व में कैसे आया।

चांद के बनने की कहानी या कहें तो चांद की उत्पत्ति को लेकर एक नई रिसर्च सामने आई है। एक नई रिसर्च में बताया गया है कि अरबों साल पहले पृथ्वी से एक बड़ा ग्रह टकराया था, जिसके बाद चांद अस्तित्व में आया।

रिसर्चर ने इस रिसर्च के लिए अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा चांद से लाए गए चट्टानों के टुकड़ों का उपयोग किया। उन्होंने अपनी इस चंद्रमा की उत्पत्ति की नई थ्योरी के पीछे इन्ही चट्टानों का हवाला दिया और बताया कि इन चट्टानी टुकड़ों पर ‘थिया’ नाम के ग्रह की निशानियां मिली हैं। जिसके बाद बदलाव हुए और चांद बना।

यह रिसर्च एक साइंस पत्रिका में प्रकाशित की गई है। बता दें कि चंद्रमा की उत्पत्ति की यह थ्योरी पहले भी सामने आई है। माना जाता रहा है कि अंतरिक्ष में खगोलीय टक्कर के बाद चांद बना, लेकिन कुछ लोगों ने इसे गलत भी बताया। वहीँ 1980 के दशक में इस सिद्धांत को स्वीकृति दी गई और मान लिया गया कि चांद 4.5 बिलियन साल पहले पृथ्वी और थिया के बीच हुई टक्कर के बाद अस्तित्व में आया। माना जाता है कि थिया और पृथ्वी की टक्कर के बाद इन दोनों ग्रहों के टुकड़े एक दूसरे में समाहित होकर चांद में तब्दील हुए।

कितनी मान्य है यह थ्योरी?

चांद के अस्तित्व में आने की यह थ्योरी कंप्यूटर सिमूलेशन से मिलती है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो इस थ्योरी के साथ परेशानी यह है कि इसमें जिस ग्रह ‘थिया’ की बात कही गई है, उसकी मौजूदगी के प्रमाण चांद की चट्टानों में किसी को नहीं मिले। साथ ही थिया और पृथ्वी की टक्कर के भी कोई ठोस साबुत नहीं पाए हैं।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेलीडे ने चांद की चट्टानों पर मिली थिया की सामग्री और पृथ्वी के बीच अंतर को बहुत मामूली बताया है। वहीँ, ओपन यूनिवर्सिटी के डॉक्टर महेश आनंद ने इस रिसर्च को रोमांचकारी बताया। लेकिन उनके हिसाब से भी मौजूदा तथ्य चांद के लाए गए महज़ तीन चट्टानी नमूनों के आधार पर निकाले गए हैं, जिनसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचना इतना आसान नहीं है।

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