हैदराबाद| एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश का स्वागत किया, जिसमें अयोध्या विवाद मध्यस्थता के जरिए सुलझाने की बात कही गई है।
लेकिन उन्होंने आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर को लेकर चिंता जताई, जिन्हें एक मध्यस्थ नियुक्त किया गया है।
ओवैसी ने कहा कि वह इस विषय के मामले से संबंधित हैं और विवाद में एक पक्षकार भी हैं।
हैदराबाद के सांसद ने कहा कि रविशंकर ने चार नवंबर, 2018 को एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने हिंसा की धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि रविशंकर ने चेतावनी दी थी कि यदि मुसलमान जमीन नहीं देते हैं तो भारत सीरिया बन जाएगा।
ओवैसी ने कहा कि रविशंकर ने मुसलमानों से यह भी कहा था कि वे सद्भावना के तहत अपना दवा छोड़ दें। उन्होंने कहा कि यह अच्छा होता यदि सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें एक मध्यस्थ नहीं नियुक्त किया होता।
उन्होंने हालांकि आशा जाहिर की कि रविशंकर इस बात को महसूस करेंगे कि सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें भारी जिम्मेदारी सौंपी है और वह एक तटस्थ मध्यस्थ के रूप में काम करेंगे।
ओवैसी ने कहा कि वह मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपना रुख स्पष्ट करेगा।
ओवैसी भी पर्सनल लॉ बोर्ड के एक सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त तीन मध्यस्थों के पास जाना चाहिए और अपना विचार रखने चाहिए।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश का भी स्वागत किया, जिसमें कहा गया है कि मध्यस्थता प्रक्रिया गोपनीय होगी। उन्होंने कहा कि इससे मीडिया में कयासबाजी की कोई संभावना नहीं होगी, और ऐसी स्थिति नहीं बन पाएगी, जहां राजनेता इससे चुनावी लाभ ले सकें।
This post was last modified on March 9, 2019 1:31 AM
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