इस्लामाबाद, 2 अप्रैल (आईएएनएस)| इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने सिंध प्रांत में दो हिंदू बहनों को कथित रूप से अगवा कर जबरन इस्लाम कबूल करवाकर निकाह कराए जाने के मामले में मंगलवार को एक पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया।
मामले के सामने आने के बाद से देश में अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा विरोध-प्रदर्शन हुआ है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने रीना, रवीना और उनके पतियों सफदर अली और बरकत अली की सुरक्षा की मांग करने वाले याचिका पर सुनवाई की।
लड़कियों द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया कि वे सिंध के गोटकी स्थित एक हिंदू परिवार में जन्मीं और उन्होंने इस्लामिक शिक्षा से प्रभावित होकर धर्म परिवर्तन किया। याचिका में दावा किया गया कि जान जाने के खतरे के कारण उन्होंने अपने परिवार को इस बात की जानकारी नहीं दी।
याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया कि दोनों लड़कियों ने 20 मार्च को अपना घर छोड़ा और दो दिन बाद स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर शादी की।
हालांकि, लड़की के परिजनों के वकील ने कहा कि मामला जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने का है।
लड़कियों के पिता ने सोमवार को उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दोनों बहनों की ठीक-ठीक उम्र का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड के गठन का आग्रह किया। मुख्य न्यायाधीश मिनल्लाह ने जांच आयोग के साथ-साथ मेडिकल बोर्ड के गठन का भी आदेश दिया जो लड़कियों की उम्र के बारे में जानकारी देगा। मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी।
इससे पहले पाकिस्तान इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज ने कहा था कि विवाह के समय दोनों लड़कियां नाबालिग नहीं थीं। इस रिपोर्ट को लड़कियों के परिवार ने गलत बताया था।
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