नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात का असर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) और बुनियादी ढांचे से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर पड़ सकती है, जिससे इसके आर्थिक विकास की संभावनाएं कहीं न कहीं बाधित हो सकती हैं।
देश में विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री इमरान खान की ‘कठपुतली’ सरकार और सेना के खिलाफ एक संयुक्त रैली का नेतृत्व किया है। इसके अलावा, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने भी पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ से हटाने के खिलाफ फैसला सुनाया है और साथ ही इसके 27 सूत्री कार्ययोजना को पूरा करने के लिए 2021, फरवरी तक का वक्त दिया है।
इमरान खान ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाली सीपीईसी परियोजना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि इससे सामाजिक-आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
साल 2019 में पाकिस्तान की जीडीपी एक प्रतिशत नीचे लुढ़क गई थी और इस साल भी देश की सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट देखी जा सकती है।
पाकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत टीसीए राघवन ने इंडियानेरेटिव डॉट कॉम को बताया कि वर्तमान समय की इस राजनीतिक उथलपुथल के कुछ और समय तक जारी रहने की संभावना है।
उन्होंने कहा, “यह सच है कि इस वक्त देश राजनीतिक संकट की ओर आगे बढ़ रहा है और ऐसा लगता है कि इसके कुछ समय तक जारी रहने की संभावना है।”
साथ ही राघवन ने यह भी कहा कि इस राजनीति उथलपुथल का प्रभाव देश की आर्थिक विकास पर पड़ेगा, लेकिन ऐसा अभी तुरंत ही नहीं होने वाला है।
उन्होंने आगे बताया, “पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस वक्त एक गंभीर स्थिति में है और इसके और भी घनीभूत होने की आशंका है, जिससे सीपीईसी की परियोजना भी प्रभावित हो सकती है। पहले से ही कई वजहों के चलते इसकी गति धीमी रही है और मौजूदा हालात के असर से भी यह परियोजना अछूती नहीं रहेगी।”
–आईएएनएस
एएसएन/एसजीके
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