नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बुधवार को कहा कि सिंधु जल संधि का उल्लंघन किए बगैर पाकिस्तान को नदियों का पानी रोकने की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों पर व्यावहारिक अध्ययन जारी है। सरकार ने सिंधु जल संधि का उल्लंघन किए बगैर इस कार्य को अंजाम देने के रास्ते निकालने को लेकर व्यावहारिक अध्ययन शुरू कर दिया है।
शेखावत ने आईएएनएस से बातचीत में कहा “भारत को अपना पानी रोकने को पूरा अधिकार है। हम अपने आंतरिक मसलों पर काम करते हैं। मुझे पाकिस्तान से कोई अप्रूवल नहीं चाहिए।”
उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी केंद्रित व्यावहारिक अध्ययन चल रहा है। एक बार यह पूरा होने के बाद मैं इसे मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए ले जाऊंगा। इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए क्योंकि हम इस रुख पर कायम हैं कि संधि को तोड़ा नहीं जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन अध्ययन कब तक चलेगा यह कहना मुश्किल है।
शेखावत ने कहा कि मुख्य नदियों में कई सहायक नदियां मिलती हैं।
उन्होंने कहा, “वे भारत के नियंत्रण में आती हैं। हम बिना की बाहरी हस्तक्षेप के इस पर फैसला ले सकते हैं। हम उस पानी की बात नहीं कर रहे हैं जो पाकिस्तान के हिस्से में आता है।”
विश्व बैंक की मदद से हुई सिंधु जल संधि के तहत 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी के पानी के बंटवारे और साझेदारी की एक व्यवस्था को अंतिम रूप दिया गया।
संधि के अनुसार, भारत का नियंत्रण व्यास, रावी और सतलज नदी पर है जबकि पाकिस्तान के नियंत्रण में सिंधु, चिनाब और झेलम हैं।
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