पाकिस्तान में 60 प्रतिशत कृषि महिलाओं पर निर्भर!

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 इस्लामाबाद, 21 जनवरी (आईएएनएस)| पाकिस्तान में 60 प्रतिशत कृषि महिलाओं पर निर्भर होने के बावजूद उन्हें मिलने वाली मजदूरी उनकी मेहनत के अनुसार नहीं है।

 यह बात मंगलवार को ऑक्सफेम पाकिस्तान के निदेशक मुहम्मद काजिलबाश ने पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित एक रपट में कही है। डॉन में प्रकाशित रपट के अनुसार, ‘वैश्विक असमानता’ पर अंतर्राष्ट्रीय विकास चैरिटी ऑक्सफेम की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद ऑक्सफेम पाकिस्तान के निदेशक मुहम्मद काजिलबाश ने कहा, “हमारे देश की कृषि का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं पर निर्भर है, लेकिन फसल के मौसम के दौरान उन्हें जो मजदूरी मिलती है, वह उनके काम में लगाई गई मेहनत के अनुरूप नहीं है।”

काजिलबाश ने कहा, “वैश्विक असमानता रिपोर्ट को लेकर विशेष रूप से पाकिस्तान को चिंतित होना चाहिए, क्योंकि हम असमानता को बढ़ा रहे हैं। हमारे देश में, घरेलू कामगारों का वास्तविक खर्च और जीवनयापन का खर्च उनके द्वारा दी जाने वाली न्यूनतम मजदूरी से अधिक है। लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि इसकी मान्यता को लेकर कमी है।”

देश में महिलाओं को कृषि क्षेत्र में मिलने वाली मजदूरी पर उन्होंने कहा, “खेत में काम करने के बाद जब वे घर वापस जाती हैं, तो उन्हें खाना बनाना, साफ-सफाई करना और अपने बच्चों की देखभाल जैसे कार्य भी करने होते हैं। इस प्रकार का एक अतिरिक्त बोझ उन पर सिर्फ इसलिए पड़ता है, क्योंकि वे महिला हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “घर का खर्च चलाने वाला समझता है घर से बाहर कार्य करने और पे-चेक प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है और ऐसा वह सिर्फ इसलिए कर पता है, क्योंकि घर पर चीजें पहले से हल होती हैं। उसे वहां के कार्यो की चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है।”

मुहम्मद काजिलबाश ने कहा, “अफसोस की बात है, घरेलू काम और घर के प्रबंधन को हमारे समाज में ‘काम’ नहीं माना जाता है। यहां, हमें पता नहीं है कि क्रियाओं का महत्व होता है।”

‘वैश्विक असमानता’ पर अंतर्राष्ट्रीय विकास चैरिटी ऑक्सफेम की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 2,153 अरबपतियों के पास 4.6 अरब लोगों की समन्वित संपत्ति से अधिक संपत्ति है, जबकि ये 4.6 अरब लोग धरती की आबादी का 60 प्रतिशत हिस्सा हैं।

रपट में आगे कहा गया है कि पिछले दशक में अरबपतियों की संख्या दोगुनी होने के साथ, हमारी पुरुष प्रधान अर्थव्यवस्थाएं इस असमानता के संकट को और बढ़ा रही हैं और महिलाओं पर देखभाल के काम की एक भारी और विषम जिम्मेदारी डाल रही हैं।

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