पाकिस्तान में मंत्रियों पर भी रखी जा रही है खुफिया नजर!

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 इस्लामाबाद, 21 फरवरी (आईएएनएस)| पाकिस्तान में एक संघीय मंत्री ने अचानक एक बहुत महंगी गाड़ी खरीदी। इसे छिपाने की भी कोशिश की लेकिन बात छिप नहीं सकी और मामला सरकारी एजेंसियों तक पहुंच गया।

  अब, वह आंतरिक जांच का सामना कर रहे हैं और उस खुफिया एजेंसी को कोसते रहते हैं जिसने मामले को रिपोर्ट किया था। ‘द न्यूज’ की रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए ऐसे कई और मामलों का खुलासा कर बताया गया है कि उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों पर रोक लगाने के लिए एक ‘सिविलियन एजेंसी’ की मदद ली जा रही है जो मंत्रियों पर भी निगाह रखे हुए है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ‘बहुत मालदार क्लाइंट’ एक संघीय मंत्री से अपने लिए मदद चाह रहा था। मंत्री ने उसे यह कहकर लौटा दिया, “हम पर नजर रखी जा रही है।”

‘द न्यूज’ ने रिपोर्ट में बताया कि एक प्रांत के मुख्यमंत्री और उनके तमाम मंत्री बहावलपुर के चोलिस्तान रेगिस्तान में जीप रैली देखने गए। मुख्यमंत्री के हेलीकाप्टर का इस्तेमाल इन लोगों ने किसी रिक्शे की तरह किया। रोजाना इसी से आना-जाना हुआ। इसे भी एजेंसी ने रिपोर्ट किया है और माना जा रहा है कि इसकी जांच जल्द ही होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक संघीय मंत्री ने कहा कि आज जब मंत्री फुर्सत के लम्हों में साथ बैठते हैं तो वे देश या विभाग के मुद्दों पर बात करने के बजाए इस पर बात करते हैं कि ‘उस खुफिया निगाह से कैसे बचा जाए, जो हर कदम पर उन पर नजर रख रही है।’ यह भी कहा जा रहा है कि कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात कर इसे बंद कराने को कहा लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली।

रिपोर्ट के मुताबिक, एक सिविलियन एजेंसी यह काम कर रही है। पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के सत्ता में आने से पहले यह नेताओं की जासूसी करने के बजाए आतंकरोधी अभियानों में हाथ बंटाती थी। लेकिन, पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के सत्ता में आने के बाद इसका जोर ‘भ्रष्टाचार को रोकने’ पर हो गया। इस एजेंसी को तमाम तरह के अत्याधुनिक उपकरण मुहैया कराए गए हैं। पहले इसके निशाने पर केवल विपक्षी नेता थे लेकिन अब मंत्री भी आ गए हैं।

रिपोर्ट में इस एजेंसी का नाम नहीं बताया गया है लेकिन कहा गया है कि इमरान इसका नाम भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के दौरान लेते रहते हैं। इसे एजेंसी में पसंद नहीं किया जा रहा है। इसके एक अधिकारी ने कहा, “हमारा काम गुप्त तरीके से होता है। इसके बारे में सार्वजनिक रूप से बात नहीं होनी चाहिए। इसकी वजह से एजेंसी के अधिकारी उन लोगों की निगाह में खलनायक हो जाते हैं जिनसे सूचनाएं लेनी होती हैं।”

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