नई दिल्ली, 19 सितम्बर (आईएएनएस)| नए मोटर वाहन अधिनियम 2019 के अनुसार अगर आप वैध मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी के बिना गाड़ी ड्राइव कर रहे तो एक बार जरूर सोचें कि इसके लिए आपको 2000 रुपये की पेनाल्टी यानी जुर्माना चुकाना पड़ सकता है।
एक सितंबर से लागू इस कानून के अनुसार वैध मोटर वाहन इंश्योरेंस के बिना गाड़ी चलाने पर पहली बार 2000 की पेनाल्टी और दूसरी बार पकड़े जाने पर 4000 रुपये पेनाल्टी वसूली जाएगी। इसके साथ ही हर बार की गलती पर तीन महीने की जेल की सजा भी हो सकती है। पेनाल्टी रकम में यह 100 वृद्धि हुई है क्योंकि पहले इस गलती के लिए 1000 रुपये पेनाल्टी लगाई जाती थी। नए कानून में कुल 63 नए नियम हैं, जिसमें नशे में गाड़ी चलाने, बिना लाइसेंस गाड़ी चलाने, तेज गाड़ी चलाने या रेस लगाने, लाल बत्ती पर ना रुकने, अधिकारियों के आदेश ना मानने जैसी स्थितियों में लगाई जाने वाली पेनाल्टी को बढ़ाया गया है।
दरअसल, इनमें से कई नए कानूनों में भारी-भरकम जुर्माना लगाने के साथ ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने और कई महीनों की जेल भी हो सकती है। वाहन उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार, ये कड़े कानून वाहन मालिकों, ड्राइवरों और कैब एग्रिगेटर्स को सचेत करने, सड़क पर लोगों का व्यवहार बदलने और सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने के मकसद से लागू किए गए हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर इन्हें अच्छी तरह लागू किया जाए, तो यह कानून नियम तोड़ने पर भारी-भरकम पेनाल्टी लगाकर लोगों की आदतें बदल सकते हैं और साथ ही नागरिकों के बीच एक जिम्मेदारी की भावना भी पैदा कर सकते हैं। नए कानूनों को लागू करने के बाद यह उम्मीद की जाती है कि बिना इंश्योरेंस वाले वाहनों और इंश्योरेंस वाले वाहनों का अंतर निश्चित रूप से घटेगा और अनिवार्य मोटर इंश्योरेंस का दायरा भी बढ़ेगा।
पालिसी बाजार के मोटर इंश्योरेंस प्रमुख साज्जा प्रवीण चौधरी ने कहा कि वैध मोटर इंश्योरेंस के बिना ड्राइविंग करने वालों के लिए पेनाल्टी को 100 प्रतिशत बढ़ाने का मुख्य कारण 2015-16 की जीआईसी रिपोर्ट है, जिसमें यह सामने आया कि भारतीय सड़कों पर चलने वाले 19 करोड़ रजिस्टर्ड वाहनों में से सिर्फ 8.26 करोड़ ने इंश्योरेंस कराया है। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकतर वाहन मालिकों ने इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के शुरुआती कुछ वर्षो बाद उसे रिन्यू करना जरूरी ही नहीं समझा। इसलिए, ऐसे कड़े कानून बनाकर सरकार सड़क दुर्घटना के शिकार होने वाले लोगों की मदद भी कर रही है क्योंकि उन्हें इंश्योरेंस कंपनियों से मुआवजा प्राप्त करने के लिए कई सारी परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
एक मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में दो महत्वपूर्ण भाग होते हैं – थर्ट पार्टी लायबिलटी और ओन डैमेज कवर। इनमें टीपी इंश्योरेंस लेना कानूनी रूप से अनिवार्य है, वहीं अपनी गाड़ी को खुद से हुए नुकसान की भरपाई करने वाला डऊ कवर पूरी तरह से स्वैच्छिक यानि वाहन मालिकों की इच्छा पर निर्भर करता है। पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने सभी नई कारों और टू-वीलर्स के लिए क्रमश: तीन एवं पांच वर्षो के लिए थर्ट पार्टी इंश्योरेंस को अनिवार्य बनाया था।
चौधरी ने कहा कि एक व्यापक मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी ना केवल आपको भारी-भरकम फाइन और जेल जाने से बचाती है, बल्कि बेकार के कानूनी झमेलों से भी सुरक्षा देती है, जो आपकी गाड़ी से किसी दूसरे व्यक्ति को गलती से चोट या नुकसान पहुंचाने पर पैदा हो सकते हैं। एक वैध मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी ना होने पर आपको सारे खर्चे और कानूनी मुश्किलें खुद ही झेलनी पड़ेंगी। अगर दुर्घटना में आपकी गाड़ी से किसी की मौत हो जाए, तो इसके लिए पैदा होने वाली कानूनी मुसीबत और खर्चे आपकी कल्पना से भी बड़े हो सकते हैं।
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