नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की ओर से पाकिस्तान द्वीप विकास प्राधिकरण (पीआईडीए) अध्यादेश पर हस्ताक्षर करना भविष्य के निवेशकों या शायद चीन को पाकिस्तानी द्वीप बेचने की योजना प्रतीत होती है।
पीआईडीए अध्यादेश में कुछ विवादास्पद सेक्शन ने देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और एक बड़ा विवाद शुरू कर दिया है।
अध्यादेश के बारे में सावधानीपूर्वक पढ़ने से पता चलता है कि संघीय सरकार कुछ छिपा रही है। अध्यादेश में कहा गया है कि एक बार सरकार कराची के पाकिस्तानी बंदरगाह के आसपास स्थित सिंध में द्वीपों पर कब्जा कर लेती है तो पुलिस, न्यायपालिका और स्थानीय सरकार उन पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं रखेगी। इमरान खान सरकार ने इसमें ऐसा क्लॉज क्यों डाला, यह अटकलों और चिंता का विषय बन गया है।
भू राजनीतिक विश्लेषक मार्क किनरा कहते हैं, “यह स्पष्ट है कि संघीय सरकार देश के भीतर किसी भी अधिकार या शक्ति को नहीं चाहती है कि वह द्वीपों पर जो कुछ कर रही है, उसमें हस्तक्षेप किया जाए। यह एक अतिरिक्त-संवैधानिक प्राधिकरण बनाने की तरह है, जिसके पास सभी मौजूदा लोकतांत्रिक संस्थानों पर ओवर-राइडिंग शक्तियां हैं। पाकिस्तान के लोगों के लिए यह एक चिंता का विषय है, क्योंकि इसे उनके अधिकारों और देश की संप्रभुता पर थोपा गया है।”
उन्होंने इस अध्यादेश की वैधता पर सवाल उठाए। इसके साथ ही अध्यादेश में एक खंड तो ऐसा भी है जो कि काफी विवादास्पद है। कहा जा रहा है कि संघीय सरकार को इस अध्यादेश के माध्यम से अधिग्रहित भूमि को बेचने तक का अधिकार है।
अध्यादेश के इस खंड ने पाकिस्तानी अवाम की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि दुनिया में शायद ही कोई सरकार हो, जो राष्ट्रीय संपत्ति मानी जाने वाली जमीन को बेचने के बारे में सोचती हो। संबंधित खंड की ओर इशारा करते हुए किनरा ने कहा, “इसकी धारा 47 में कहा गया है कि प्राधिकरण अपने पास निहित किसी भी भूमि को पट्टे पर रख सकता है, या बेच सकता है या फिर विनिमय कर सकता है।”
पाकिस्तान का दोस्त चीन खुद इसका एक दिलचस्प उदाहरण है, क्योंकि चीन में भूमि का कोई निजी स्वामित्व नहीं है। चीन में भूमि का स्वामित्व सरकार के पास ही रहता है, जबकि भूमि पर संरचनाएं कॉर्पोरोट इकाई के पास होती हैं।
हालांकि, पाकिस्तान ने ऐतिहासिक रूप से अपनी ही भूमि के प्रति एक उदासीन रवैया दिखाया है।
पिछले साल, दिसंबर 2019 के पहले सप्ताह में खान ने घोषणा की थी कि वह विदेशी और पाकिस्तानी निवेशकों को जमीन और अन्य राज्य संपत्ति बेच देगा। दुबई एक्सपो 2020 में राज्य के स्वामित्व वाली लेकिन अप्रयुक्त भूमि को बेचने के लिए विचार किया गया था।
विपक्षी दल और पाकिस्तानी नेता पाकिस्तान द्वीप विकास प्राधिकरण अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं।
सिंध प्रांत की सरकार के अधीन दो द्वीपों को पाकिस्तान सरकार द्वारा अपने नियंत्रण में लेने के बाद से इमरान शासन विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। राजनीतिज्ञों ने रणनीतिक रूप से अहम इन द्वीपों को सीपीईसी के एक हिस्से के रूप में चीन को सौंपने की योजना बनाने का इमरान प्रशासन पर आरोप लगाया है। विपक्ष ने कहा है कि वह सरकार को यह जमीन चीन को बेचने की कतई अनुमति नहीं देगा।
बता दें कि पिछले महीने ही राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने बुंदल और भुड्डो द्वीपों पर पुनर्विचार और शहरी नियोजन की सुविधा के मकसद से पाकिस्तान द्वीप विकास प्राधिकरण (पीआईडीए) अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों द्वीप सिंध के किनारे दक्षिण में स्थित हैं। इस अध्यादेश से सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में राजनीतिक हलचल पैदा हो गई है।
–आईएएनएस
एकेके/एएनएम
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