अमृतसर, 10 अगस्त (आईएएनएस)| बठिंडा के 46 वर्षीय किसान अमरीक सिंह उस वक्त निराश हो गए जब 2017 में उनकी तीन एकड़ जमीन में उगाई गई कपास की फसल बर्बाद हो गई। उसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह अब कपास की खेती न करके दूसरी फसले उगाएंगे, जैसे धान की खेती करेंगे।
अमरीक अकेले ऐसे किसान नहीं हैं। पंजाब में सैकड़ों ऐसे किसान हैं, जो कीट के हमलों का खामियाजा भुगत चुके हैं। इससे पहले 2015 में व्हाइटफ्लाइ के हमले से 70 प्रतिशत से अधिक खड़ी कपास की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी।
राज्य के किसानों के खेतों में अधिकतर होते इन कीटों के हमलों ने राज्य सरकार का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचा। विशेषज्ञों और कृषि वैज्ञानिकों ने अब लाभकारी कीड़ों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिनकी आबादी पिछले कुछ वर्षो में राज्य में कम हुई है।
किसानों द्वारा कीटनाशकों और रसायनों के अंधाधुंध उपयोग के कारण इन लाभकारी कीड़ों की संख्या काफी हद तक मिट गई है।
राज्य कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुखदेव सिंह ने कहा कि खेती की भूमि पर रसायनों का अत्यधिक उपयोग कृषि के लिए लाभकारी कीड़ों को खत्म कर देते हैं।
उन्होंने व्हाइटफ्लाइ हमले के लिए इन लाभकारी कीड़ों की कम होती संख्या को जिम्मेदार ठहराया।
व्हाइटफ्लाइ पत्तियों को चूसता है, जिससे फोटोसिंथेसिस अच्छे से नहीं हो पाता है, और पत्ती कर्ल वायरस रोग को ट्रिगर कर देता है।
स्थिति से चिंतित राज्य सरकार ने एक आकस्मिक योजना बनाई है, जिसके तहत किसानों को फसल बुवाई के पहले 60 दिनों के दौरान रसायनों का उपयोग नहीं करने की सलाह दी गई है।
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