Punjab: कभी अमेरिका में स्वर्ण पदक जीत चुका ये खिलाड़ी आज लड़ रहा है जिंदगी की जंग, मां के गहने बिके और घर भी गिरवी

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पंजाब से एक बेहद दर्दनाक मामला सामने आया है। पंजाब के साइकिलिस्ट राजवीर सिंह ब्लर्ड विंटर स्पेशल ओलंपिक में देश के लिए दो स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। लेकिन आज उनका परिवार पाई-पाई को मोहताज है।

बीमारी के चलते लुधियाना के दीपक अस्पताल में राजवीर सिंह छह दिन से भर्ती हैं। अभी तक उनका हाल लेने लेने तक को भी कोई आगे नहीं आया है। खबरो के मुताबिक पिता बलवीर सिंह बेटे के इलाज के लिए अपना सब कुछ बेच चुके हैं।

राजवीर सिंह का इलाज मनुख्ता दी सेवा नाम की एक संस्था करवा रही है। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जुलाई 2020 में यह घोषणा की थी कि पंजाब सरकार राजवीर सिंह को लाखों रुपये देगी। लेकिन पिरवार के अनुसार अभी तक उन्हें एक पाई तक नहीं मिली है।

बता दें कि राजवीर सिंह ने साल 2015 में अमेरिका के लॉस एंजिल्स में हुए ब्लर्ड विंटर स्पेशल ओलंपिक में दो स्वर्ण पदक जीते थे।

लुधियाना के गांव सियाड़ निवासी बलवीर सिंह ने बताया कि, उनके दो पुत्र हैं। बड़ा बेटा राजवीर सिंह जब पांच साल का हुआ तो बीमार हो गया था। उसका इलाज पीजीआई में करवाया गया था। वहां उसके पेट का ऑपरेशन किया गया था। वहां के डॉक्टरों ने साफ कर दिया था कि अब यह सामान्य बच्चों की तरह नहीं रह पाएगा।

उनके पिता ने कहा कि उनको अपना बेटा कभी दिव्यांग नहीं लगा। राजवीर ने महज सात साल की उम्र से साइक्लिंग शुरू कर दी थी। राजवीर सिंह साल 2011 में पटियाला में आयोजित मुकाबले में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।

इसके बाद साल 2013 में जयपुर, 2014 में भोपाल और 2015 में चेन्नई में आयोजित खेलों में भी स्वर्ण पदक जीते चुके हैं। इसके बाद राजवीर सिंह साल 2015 में ही लॉस एंजिल्स में हुए ब्लर्ड विंटर स्पेशल ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था।

बलवीर सिंह ने कहा कि, वह मजदूरी करते है। उन्हें प्रतिदिन 350 रुपये दिहाड़ी मिलती है। जनवरी में राजवीर सिंह की सेहत खराब हो गई थी। लुधियाना के सीएमसी अस्पताल के डॉक्टरों ने उसके सिर का ऑपरेशन किया था।

इसके बाद भी उसकी हालत गिरती जा रही थी। बीते सप्ताह हालत ज्यादा खराब होने के चलते राजवीर को दीपक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बेटे के इलाज के लिए उन्होंने घर गिरवी रखकर तीन लाख रुपये का कर्ज लिया है। यही नहीं अपनी पत्नी के गहने भी बेच दिए है। मनुख्ता दी सेवा संस्था के प्रधान गुरप्रीत सिंह मेरी मदद कर रहे हैं।

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