पुराने तेल ब्लॉकों के उत्पादन में देरी होने पर भी मिलेगी कर रियायत

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नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)| हाइड्रोकार्बन खोज करने वाली कंपनियों को उनके खोजे गए ब्लॉक के व्यावसायीकरण के लिए और अधिक समय दिया जा सकता है, क्योंकि सरकार देश में घरेलू तेल व गैस के शिथिल उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए नई नीति पर विचार कर रही है। यह जानकारी बुधवार को आधिकारिक सूत्रों से मिली।

सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव पर तेल मंत्रालय विचार कर रहा है और मंत्रालय तेल कंपनियों को तेल ब्लॉक की खोज और उत्पादन में विलंब की सूरत में भी कर अवकाश की तरह कर प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है।

इस कदम का फायदा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी और निजी कंपनी रिलायंस, केयर्न ऑयल एंड गैस और नायरा इनर्जी को मिलेगा, जो सरकार द्वारा विभिन्न तेल व गैस ब्लॉक की नीलामी में हिस्सा ले चुकी हैं, लेकिन अभी तक अपने कई ब्लॉक में व्यावसायिक कार्य शुरू नहीं कर पाई हैं।

उम्मीद है कि आगामी बजट में आयकर अधिनियम की धारा 80-आईबी के तहत कर अवकाश में विस्तार की घोषणा की जा सकती है, क्योंकि सरकार निवेशकों को संकेत देना चाहती है कि वह तेल व गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है।

वित्त अधिनियम 2011 में 31 मार्च, 2011 के बाद के अनुबंध के लाइसेंस के तहत प्रदत्त ब्लॉक से उत्पादन के लिए कर अवकाश वापस ले लिया गया। बाद में वित्त अधिनियम 2016 में एक सनसेट (समापक) उपबंध जोड़ा गया, जिसके तहत कहा गया कि 31 मार्च, 2017 के बाद अगर तेल का व्यावसायिक उत्पादन शुरू होता है तो कोई कर अवकाश नहीं होगा।

इन प्रावधानों से कई खोजी प्ररियोजनाएं निरुत्साहित हुईं, जिनमें भूवज्ञानिक, विनियामक या परिचालन संबंधी कारकों के कारण व्यावसायिक उत्पादन में देरी हुई। जबकि 31 मार्च, 2011 के बाद प्रदत्त तेल व गैस ब्लॉक किसी भी प्रोत्साहन योजना में शामिल नहीं हैं।

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने बताया, “इस बदलाव से तेल व गैस का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा, जोकि पिछले कुछ साल से शिथिल पड़ गया था। सबसे बड़ी बात यह है कि उन खोजी ब्लॉकों को प्रोत्साहन मिलेगा, जहां पहले ही काफी निवेश किया जा चुका है और व्यावसायिक उत्पादन के लिए खोज की संभावना ज्यादा है।”

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पूर्व सरकार ने 2022 तक तेल आयात पर भारत की निर्भरता में 10 फीसदी कमी लाने का लक्ष्य रखा था।

हालांकि लक्ष्य के समीप पहुंचने के बजाय तेल आयात पर भारत की निर्भरता और बढ़ गई। 2014-15 में जहां कुल खपत का 78.3 फीसदी तेल भारत आयात करता था वहां 2018-19 में तेल का आयात कुल खपत का बढ़कर 83.7 फीसदी हो गया।

इस दौरान कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन सालाना 350-360 लाख टन रहा। तेल का उत्पादन 2018 में घटकर 357 लाख टन और 2019 में 342 लाख टन रह गया।

 

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