Pushpam Priya Choudhary ने लिखा भावनात्मक पोस्ट, कहा ‘2020 के बदलाव की क्रांति विफल रही’

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बिहार चुनाव के दौरान चर्चित चेहरों के अलावा एक नया नाम भी काफी सुर्खियां बटोर रहा था। वो नाम था प्लुरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी का। बिस्फी विधानसभा सीट पर पुष्पम प्रिया को नोटा से भी कम 1509 वोट मिला है।

बता दें कि पुष्पम प्रिया ने एक साल पहले हिंदी-अंग्रेजी के तमाम बड़े अखबारों के पहले पन्ने पर फुल पेज विज्ञापन दिया था। इस विज्ञापने में उन्होंने खुद को बिहार के सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया था। इस चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी की तरफ से डॉक्टरों, इंजीनियरों, समाजसेवियों, शिक्षकों, प्रोफेसरों और किसानों को टिकट दिया था। पुष्पम प्रिया जदयू के एमएलसी विनोद चौधरी की बेटी हैं।

आज सुबह हो गयी पर बिहार में सुबह नहीं हुई। मैं बिहार वापस एक उम्मीद के साथ आयी थी कि मैं अपने बिहार और अपने बिहारवासियों…

Posted by Pushpam Priya Choudhary on Tuesday, 10 November 2020

 

अपनी हार के बाद प्रिया ने एक भावनात्मक पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा किया है। पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि, “आज सुबह हो गयी पर बिहार में सुबह नहीं हुई। मैं बिहार वापस एक उम्मीद के साथ आयी थी कि मैं अपने बिहार और अपने बिहारवासियों की ज़िंदगी अपने नॉलेज, हिम्मत, ईमानदारी और समर्पण के साथ बदलूँगी। मैने बहुत ही कम उम्र में अपना सब कुछ छोड़ कर ये पथरीला रास्ता चुना क्योंकि मेरा एक सपना था – बिहार को पिछड़ेपन और ग़रीबी से बाहर निकालने का।”

वो आगे लिखती हैं, “बिहार के लोगों को एक ऐसी इज़्ज़तदार ज़िंदगी देना जिसके वो हक़दार तो हैं पर जिसकी कमी की उन्हें आदत हो गयी है। बिहार को देश में वो प्रतिष्ठा दिलाना जो उसे सदियों से नसीब नहीं हुई। मेरा सपना था बिहार के गरीब बच्चों को वैसे स्कूल और विश्वविद्यालय देना जैसों में मैने पढ़ाई की है, जैसों में गांधी, बोस, अम्बेडकर, नेहरू, पटेल, मजहरूल हक़ और जेपी-लोहिया जैसे असली नेताओं ने पढ़ाई की थी। उसे इसी वर्ष 2020 में देना क्योंकि समय बहुत तेज़ी से बीत रहा और दुनिया बहुत तेज़ी से आगे जा रही। आज वो सपना टूट गया है, 2020 के बदलाव की क्रांति विफल रही है।”

पुष्पम प्रिया ने आगे लिखा, “हर छोर हर ज़िले में गयी, लाखों लोगों से मिली। आपमें भी वही बेचैनी दिखी बिहार को ले कर जो मेरे अंदर थी – बदलाव की बेचैनी। और उस बेचैनी को दिशा देने के लिए जो भी वक्त मिला उसमें मैने और मेरे साथियों ने अपनी तरफ़ से कोई कसर नहीं छोड़ी। पर हार गए हम। इनकी भ्रष्ट ताक़त ज़्यादा हो गयी और आपकी बदलाव की बेचैनी कम। और मैं, मेरा बिहार और बिहार के वो सारे बच्चें जिनका भविष्य पूरी तरह बदल सकता था, वो हार गया।”

उन्होंने आगे लिखा, “मीडिया मेरे कपड़ों और मेरी अंग्रेज़ी से ज़्यादा नहीं सोच पायी, बाक़ी पार्टियों के लिए चीयरलीडर बनी रही और आप नीतीश, लालू और मोदी से आगे नहीं बढ़ पाए। आपकी आवाज़ तो मैं बन गयी पर आप मेरी आवाज़ भी नहीं बन पाए और शायद आपको मेरे आवाज़ की जरुरत भी नहीं। इनकी ताक़त को बस आपकी ताक़त हरा सकती थी पर आपको आपस में लड़ने से फ़ुरसत नहीं मिली।”

प्रिया ने आगे जोड़ा, “आज अंधेरा बरकरार है और 5 साल, और क्या पता शायद 30 साल या आपकी पूरी ज़िंदगी तक यही अंधेरा रहेगा, आप ये मुझसे बेहतर जानते हैं। आज जब अपनी मक्कारी से इन्होंने हमें हरा दिया है, मेरे पास दो रास्ते हैं। इन्होंने बहुत बड़ा खेल करके रखा है जिसपर यक़ीन होना भी मुश्किल है। या तो आपके लिए मैं उससे लड़ूँ पर अब लड़ने के लिए कुछ नहीं बचा है ना ही पैसा ना ही आप पर विश्वास, और दूसरा बिहार को इस कीचड़ में छोड़ दूँ। निर्णय लेना थोड़ा मुश्किल है।”

वो आगे लिखती हैं, “मेरी संवेदना मेरे लाखों कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ है। फ़िलहाल, आप अंधेर नगरी में अंधेरे का जश्न मनाएँ और चौपट राजाओं के लिए ताली बजाएँ। जब ताली बजा कर थक जाएँ, और अंधेरा बरकरार रहे, तब सोचें कि कुछ भी बदला क्या, देखें कि सुबह आई क्या? मैंने बस हमेशा आपकी ख़ुशी और बेहतरी चाही है, सब ख़ुश रहें और आपस में मुहब्बत से रहें।”

This post was last modified on November 11, 2020 1:48 PM

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