नई दिल्ली, 16 दिसंबर (आईएएनएस)| बदलते दौर में प्यार करने की परिभाषाएं बदल रही हैं और प्यार के इजहार की वह परंपरा भी टूट रही है, जिसमें प्यार में इजहार करने का झंडा सिर्फ पुरुष थामे रखता है।
महिलाओं में ऑनलाइन प्यार तलाशने का चलन बढ़ा है, मुखर हो रहीं महिलाएं आगे बढ़कर पुरुषों से प्यार का इजहार करने से भी नहीं हिचकिचा रही हैं।
कुछ बरस पहले तक ऑनलाइन डेटिंग करने वालों को हिकारत भरी नजरों से देखा जाता था, लेकिन अब यह एक ट्रेंड बन गया है। एक अनुमान के मुताबिक, अब हर पांच में से एक रिलेशनशिप ऑनलाइन शुरू हो रहा है, यह वजह है कि ऑनलाइन डेटिंग एप्स की बाढ़ आ गई है। अमेरिका और यूरोप में स्टैब्लिश कई बड़ी डेटिंग कंपनियां भारत में कारोबार खड़ा कर रही हैं। इसी में से एक है, ‘बम्बल’ जिसमें हाल ही में प्रियंका चोपड़ा ने भी निवेश किया है।
‘बम्बल’ डेटिंग एप को महिला प्रधान एप कहा जा रहा है, जिसकी अपनी वजहें हैं। इसका जवाब देते हुए इसकी को-फाउंडर व्हाइटनी वोल्फ कहती हैं, “ऑनलाइन डेटिंग को लेकर खासतौर पर महिलाओं में हमेशा से थोड़ा-सा संशय रहता है। इसलिए भारत में महिला सशक्तीकरण के मोटो के साथ एप को लॉन्च किया गया है।”
दुनियाभर में ‘बम्बल’ का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 4.5 करोड़ से अधिक है।
डेटिंग एप अब किस तरह महिला प्रधान हो रहे हैं? इसका जवाब देते हुए नारीवादी गीता यथार्थ कहती हैं, “बम्बल ने डेटिंग एप के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इस डेटिंग एप में महिलाओं की सुरक्षा और कंफर्ट को ध्यान में रखकर कई बेहतरीन फीचर्स तैयार किए गए हैं। मसलन, इस एप पर महिलाएं ही सबसे पहले पहल कर सकती हैं। अगर किसी लड़के को किसी लड़की की प्रोफाइल पसंद भी आ गई तो वह उसे मैसेज नहीं कर पाएगा। फोटो डाउनलोड नहीं कर पाएगा, किसी तरह की ऑनलाइन स्टॉकिंग तो भूल ही जाइए।”
वह कहती हैं, “बम्बल की तरह अब कई और महिला प्रधान डेटिंग एप शुरू हो सकते हैं, क्योंकि अब भारतीय महिलाएं संकोच के आवरण से बाहर निकलकर हर चीजों में हाथ आजमा रही हैं।”
‘टिडर’, ‘जुस्क’, ‘बम्बल’, ‘हैपन’, ‘मैच’, ‘वन्स’, ‘हिज’, ‘हगल’, ‘द लीग’, ‘चैपी’, ‘प्लेंटी ऑफ फिश’, ‘लेस्ली’, जैसी दर्जनभर से अधिक डेटिंग वेबसाइट्स हैं, जहां बड़ी तादाद में महिलाएं प्यार की तलाश में हैं।
ऑनलाइन डेटिंग का यह फैशन पश्चिमी देशों से होता हुआ भारत पहुंचा है। सबसे पहला डेटिंग एप 1995 में शुरू हुआ, जिसका नाम ‘मैच डॉट कॉम’ था। इसके बाद 2000 में ‘ईहार्मनी’ और 2002 में ‘एश्ले मैडिसन’ शुरू हुआ, जिन्होंने ऑनलाइन डेटिंग का शुरुआती क्रेज शुरू किया। साल 2012 में ‘टिंडर’ लॉन्च हुआ, जो पहला डेटिंग एप था, जिसमें स्वाइप की सुविधा थी।
मार्च, 2014 तक टिंडर पर दुनियाभर में रोजाना की दर से एक अरब जोड़ों के मैच हो रहे थे। साल 2014 में ही टिंडर की को-फाउंडर व्हाइटनी वोल्फ ने बम्बल शुरू किया, जो महिला प्रधान डेटिंग एप है। 1990 के दशक में ऑनलाइन डेटिंग एक स्टिग्मा था लेकिन अब एक-तिहाई शादियां ऑनलाइन ही हो रही हैं।
‘बम्बल’ ने अपनी वेबसाइट पर टैगलाइन लिखी है, “बंबल पर महिलाएं पहले कदम बढ़ाती हैं। हम आपके लिए मैदान तैयार कर रहे हैं और डेटिंग के तरीके बदल रहे हैं। हमारा मानना है कि रिश्तों की शुरुआत सम्मान और समानता के साथ होनी चाहिए।”
‘वू डेटिंग’ एप द्वारा हाल ही में कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, इस तरह की ऑनलाइन डेटिंग एप पर महिलाओं और पुरुषों के बीच लैंगिक भेदभाव बहुत ज्यादा है। ‘क्वाट्र्ज इंडिया’ के मुताबिक, 20,000 शहरी लोगों पर किए गए सर्वे से पता चलता है कि भारत में डेटिंग एप पर महिलाओं की तुलना में पुरुष तीन गुना अधिक है।
हालांकि, इस लैंगिक विभाजन से सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पुरुषों के लिए भी समस्याएं खड़ी हो गई हैं। पुरुषों की समस्या है कि उनके पास ऑनलाइन ऑप्शन बहुत नहीं है, जबकि महिलाओं की समस्या यह है कि उनके पास इतने ऑप्शन हैं कि वे खुद को घिरी हुई पाती हैं।
इस बारे में गीता कहती हैं, “अगले 10 सालों में महिला, पुरुषों में यह अंतर कम होने जा रहा है, क्योंकि इस दौरान दोगुनी रफ्तार से महिलाएं ऑनलाइन डेटिंग एप का रुख करेंगी, जो इस खाई को बहुत हद तक मिटा देगा।”
नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…
इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…
अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना
KBC 14 Play Along 23 September, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 36: प्रसिद्ध डिजाइनर्स चार्ल्स…
राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…