जयपुर, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा कॉर्पोरेट मंत्रालय में कंपनी अभियोजक के पद पर नियुक्ति के लिए हाल ही में जारी एक विज्ञापन ने राजस्थान में एक जातिगत भेदभाव के विवाद को जन्म दे दिया है।
विज्ञापन में ऐसा दिखाया गया है कि केवल मीना और मीणा उपनाम वाले उम्मीदवार ही अनुसूचित जनजाति के माने जाएंगे। मामले की गंभीरता को देखते हुए आखिरकार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने इसे लेकर कई सारे ट्वीट किए।
उन्होंने हाईकोर्ट में दिए गए जवाब का हवाला देते हुए मीणा और मीना को एक ही जाति का बताया और कहा कि अंतर केवल वर्तनी में है।
अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, “संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय में कंपनी प्रॉसीक्यूटर के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया। इसमें मीणा जाति वाले अभ्यर्थियों को अनुसूचित जनजाति मानकर आरक्षण के लाभ के योग्य माना गया है, जबकि मीना उपनाम वाले अभ्यर्थियों को योग्य नहीं माना गया है।”
उन्होंने आगे लिखा, “राजस्थान राज्य में मीना/मीणा दोनों सरनेम वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र जारी किए जाते रहे हैं। मीना/मीणा के मुद्दे पर माननीय उच्च न्यायालय में भी कई रिट याचिकाएं डाली गईं, जिस पर मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार ने माननीय न्यायालय में शपथपत्र देकर स्पष्ट किया गया कि मीना/मीणा दोनों एक ही जाति हैं। इनमें केवल स्पैलिंग का अंतर हैं।”
वह आखिर में लिखते हैं, “राजस्थान में इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है। राजस्थान सरकार केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी कर मीना और मीणा विवाद को खत्म कराने के लिए फिर से पत्र लिखेगी।”
–आईएएनएस
एएसएन/एसजीके
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