नई दिल्ली | नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के लोकसभा में आसानी से पारित होने के बाद भाजपा के लिए असली परीक्षा बुधवार को राज्यसभा में होगी।
यहां भगवा पार्टी के पास संख्याबल कम है, जिससे उसके सामने इस संवेदनशील नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कराना बड़ी चुनौती होगी।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का हालांकि कहना है कि उच्च सदन में विधेयक के पारित कराने में विभिन्न पार्टियों के बीच संतुलन बैठाने के लिए शीर्ष नेता, गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में अपनी भूमिका निभाएंगे।
भाजपा के एक महासचिव व एक अन्य राज्यसभा सदस्य का कहना है कि पार्टियों के बीच केमिस्ट्री बनाना ही राज्यसभा में विधेयक को पारित कराने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं। लेकिन अब कुछ खाली सीटों के साथ सदन की ताकत 238 है। भाजपा को विधेयक को पारित करने के लिए 120 वोटों की आवश्यकता है। उच्च सदन में भाजपा के 83 सांसद हैं और उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास कुल 94 सांसद हैं।
भाजपा के 83 सांसदों के अलावा, राजग में जनता दल (युनाइटेड) के छह सांसद, शिरोमणि अकाली दल के तीन और लोक जनशक्ति पार्टी व भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के एक-एक सांसद भी हैं।
राज्यसभा में 12 मनोनीत सांसद हैं। भाजपा को 11 से समर्थन का भरोसा है, जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी, स्वपन दासगुप्ता, राकेश सिन्हा भी शामिल हैं।
अगर 11 और राज्यसभा सदस्यों को जोड़ लिया जाए तो राजग के सदस्यों की गिनती 105 तक पहुंच जाएगी, जहां उसे अभी भी 15 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी। यहीं पर भाजपा की ‘केमिस्ट्री’ काम आ सकती है, जो नागरिकता संशोधन विधेयक के लिए एक सुगम मार्ग बना सकती है, ताकि पार्टी 120 के आंकड़े तक पहुंच सके।
भाजपा को उम्मीद है कि उसे अन्नाद्रमुक के 11 सांसदों का समर्थन मिलेगा। इससे उसके पास 116 सांसदों का समर्थन हो जाएगा। इसके बाद चार और सांसदों का समर्थन ही चाहिए होगा।
सूत्रों का कहना है ऊपरी सदन में विधेयक को पारित कराने के लिए संसद द्वारा सत्र शुरू होने से पहले ही नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल से संपर्क किया गया था। एक सूत्र ने कहा, “नवीन बाबू ही नहीं, बल्कि वी. कार्तिकेयन पांडियन को भी इस काम के लिए संपर्क किया गया था।” पांडियन को पटनायक का खासमखास माना जाता है। भाजपा का मानना है कि उसे बीजद के सभी सातों सांसदों का समर्थन मिलेगा।
इसके बाद पार्टी के पास जरूरत से तीन अधिक मत हो जाएंगे। लेकिन, भाजपा नेतृत्व की कोशिश इससे भी ज्यादा की है। उसे उम्मीद है कि आंध्र की वाईएसआरसीपी के दो सांसदों का समर्थन भी उसे मिलेगा।
भाजपा के एक महासचिव ने कहा, “बस देखते रहिए, कल (बुधवार को) विजय हमारी होगी।”
राजग सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इस विधेयक को पेश किया था और इसे लोकसभा की मंजूरी भी मिल गई थी। लेकिन, यहा राज्यसभा में पास नहीं हो सका था।
इस बार सरकार के खिलाफ और अधिक विरोध प्रदर्शन होने के कारण गृह मंत्री अमित शाह व्यक्तिगत रूप से विधेयक पारित कराने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं।
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This post was last modified on December 11, 2019 10:25 AM
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