नई दिल्ली, 18 नवंबर (आईएएनएस)| वर्ष 1952 में स्थापित राज्यसभा का सोमवार से ऐतिहासिक 250वां सत्र शुरू हुआ। इस दौरान मुखर वक्ता अरुण जेटली और वयोवृद्ध सदस्य राम जेठमलानी की कमी सत्ता पक्ष को ही नहीं, वल्कि विपक्ष को भी खल रही है, ऐसा देखने को मिला है। सदन में इस ऐतिहासिक सत्र को लेकर एक तरफ सदस्यों के चेहरे पर उत्साह दिखा तो दो सीटिंग और तीन पूर्व राज्यसभा सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के साथ गम भी झलक रहा था।
राज्यसभा सदस्य रहते अरुण जेटली का 67 वर्ष की उम्र में बीते 24 अगस्त को निधन हो गया, जबकि राम जेठमलानी(95) का निधन आठ सितंबर को हो गया था।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में अरुण जेटली को याद करते हुए यहां तक कह दिया कि उनका जाना एक पार्टी नहीं, बल्कि देश की क्षति है। उन्होंने कहा, “अरुण जेटली एक अच्छे छात्रनेता, अच्छे वक्ता और नेता थे। राजनीतिक कटुता को वह मधुरता में बदलना जानते थे।”
अन्य विपक्षी सांसदों ने भी अरुण जेटली के साथ अपने संस्मरण साझा किए। मशहूर वकील और राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी को भी लोगों ने याद किया।
राज्यसभा के इस ऐतिहासिक 250वें सत्र को खास बनाने के लिए कई पहलें हुई हैं। अपराह्न् दो बजे से भारतीय राज व्यवस्था में राज्यसभा की भूमिका और इसमें सुधार विषय पर विशेष चर्चा होगी। वहीं ढाई सौ रुपये का विशेष सिक्का भी जारी कर इस ऐतिहासिक सत्र को यादगार बनाने की तैयारी है।
गौरतलब है कि वर्ष 1952 से अब तक राज्यसभा के हो चुके 249 सत्रों में कुल 3817 विधेयक पास हुए हैं। वहीं अब तक इस उच्च सदन में 2282 सांसद बने। राज्यसभा में सोमवार को सीटिंग एमपी अरुण जेटली, राम जेठमलानी के अलावा पूर्व सांसद जगन्नाथ मिश्रा, सुखदेव सिंह लिब्रा और गुरुदास दासगुप्ता को श्रद्धांजलि दी गई।
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