राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय: अरुण जेटली

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नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा धारा 370 को हटाने और राज्य के विशेष अधिकारों को समाप्त करने के प्रस्ताव को राज्यसभा में पेश किए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने इसे राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में एक स्मरणीय कदम करारा दिया। इसके संबंध में पूर्व वित्तमंत्री ने कई ट्वीट्स किए।

जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को ‘एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक भूल’ को ठीक करने के लिए बधाई दी, जिसने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था।

उन्होंने ट्वीट किया, “मेरी तरफ से एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक भूल को ठीक करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मुबारकबाद। एक ऐतिहासिक गलती को आज दुरुस्त कर लिया गया है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत प्रक्रिया का पालन किए बिना धारा 35ए को पीछे के दरवाजे से चुप-चाप लाया गया था। इसे जाना ही था।”

पूर्व वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि धारा 370 एक ‘अस्थायी प्रावधान’ था।

उन्होंने कहा, “यह अस्थायी और क्षणिक प्रावधान था, जिसे स्थायी नहीं माना जा सकता था। इसे जाना ही था। अलग दर्जा अलगाववाद की तरफ लेकर जाता है। कोई भी गतिशील देश इस प्रकार की परिस्थित को कभी स्वीकार नहीं करेगा।”

उन्होंने ट्वीटर पर पूछा, “भारत के साथ जम्मू एवं कश्मीर का एकीकरण अक्टूबर 1947 को हुआ। धारा 370 को जबरन 1952 में लाया गया। धारा 35ए 1954 में आई, जिसमें चार और सात साल का अंतराल रहा। धारा 370 और 35ए विलय की एक शर्त कैसे हो सकती है?”

जेटली ने कहा, “सरकार का यह निर्णय जम्मू एवं कश्मीर के लोगों की सबसे ज्यादा मदद करेगा। अधिक निवेश, अधिक उद्योग, अधिक निजी शिक्षण संस्थान, अधिक नौकरियां और अधिक राजस्व।”

उन्होंने घाटी की राजनीतिक पार्टियों के नेताओं पर निशाना साधा।

उन्होने कहा, “धारा 370 और धारा 35ए को हटाए जाने का निर्णय जहां एक ओर जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को सबसे अधिक लाभ प्रदान करेगा, वहीं कश्मीर क्षेत्र के नेताओं को लगता है कि अब वे फर्जी ‘भावना बनाम लाभ’ के मुद्दे लोगों के बीच नहीं उठा सकेंगे।”

भाजपा के महासचिव राम माधव ने भी केंद्र सरकार के निर्णय की तारीफ की।

उन्होंने ट्वीट किया, “क्या शानदार दिन है। अंतत: भारतीय संघ में जम्मू एवं कश्मीर के एकीकरण के लिए डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी के साथ शुरू हुई हजारों लोगों की शहादत को सम्मानित किया जा रहा है।”

माधव ने कहा, “पूरे देश की सात-दशक पुरानी मांग को हमारी आंखों के सामने साकार किया जा रहा है, हमारे जीवन काल में। कभी कल्पना की है?”

 

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