किसी के फैंस अपने मनपसंद स्टार के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनके लिए उनके मनपसंद स्टार की एक एक झलक ही काफी होती है। कुछ ऐसी ही फैन फॉलोइंग थी बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की।
ऐसा कहा जाता है कि, जब राजेश खन्ना की सफेद गाड़ी कहीं खड़ी होती थी तो लड़कियों के लिपस्टिक के रंग से उनकी गाड़ी गुलाबी हो जाती थी। कहा तो यहां तक जाता है कि कई लड़कियां उनकी फैन थीं और खून से लेटर लिखकर वो अपने प्यार का इजहार करती थीं। इतना ही नहीं उसी खून से लड़कियां राजेश खन्ना के नाम का सिंदूर तक लगाती थीं।
राजेश खन्ना के बारे में कहा जाता है कि वो सेट पर अनपी मर्जी से आते थे बावजूद इसके प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर उन्हें अपनी फिल्म में कास्ट करने के लिए लाइन लगाते थे। राजेश खन्ना ने अपने बॉलीवुड करियर में ‘आनंद’ (Anand) और ‘स्वर्ग’ (Swarg) जैसी बेहतरीन फिल्में समेत 180 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। उन्होंने 1966 में आई फिल्म आखिरी खत से बॉलीवुड में कदम रखा था।
राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसम्बर 1942 को हुआ था। उनका असली नाम जतिन अरोरा था। जतिन के माता पिता भारत विभाजन के पश्चात पाकिस्तान से आकर अमृतसर में बस गये थे। आगे चल कर उनके एक रिश्तेदार ने उन्हें गोद ले लिया था। राजेश खन्ना ने बम्बई स्थित गिरगाँव के सेण्ट सेबेस्टियन हाई स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की है। वहां उनके सहपाठी थे रवि कपूर जो आगे चलकर जितेन्द्र के नाम से फ़िल्म जगत में मशहूर हुए।
राजेश खन्ना ने एक्ट्रेस डिम्पल कपाड़िया (Dimple kapadia) से मार्च 1973 में शादी की थी। उनकी दो बेटी हैं। पहली ट्विंकल खन्ना (Twinkle Khanna) जो कि फ़िल्म अभिनेत्री है। उन्होंने बॉलीवुड के खिलाड़ी कहे जाने वाले अक्षय कुमार (Akshay Kumar) से शादी की है। राजेश खन्ना की दूसरी बेटी रिंकी खन्ना हैं।
सलमान खान (Salman Khan) के पिता और लेखक सलीम खान (Salim khan) ने पत्रकार और लेखक यासिर उस्मान द्वारा लिखी राजेश खन्ना की जिंदगी पर किताब ‘राजेश खन्ना: कुछ तो लोग कहेंगे’ की भूमिका लिखी थी। राजेश खान्ना के स्टारडम का जिक्र करते हुए सलीम खान लिखते हैं कि, “आज मेरा बेटा सलमान बड़ा स्टार है। हमारे घर के बाहर उसे देखने के लिए हर रोज़ भीड़ लगती है। लोग मुझसे कहते हैं कि किसी स्टार के लिए ऐसा क्रेज़ पहले नहीं देखा। मैं उन लोगों से कहता हूं कि इसी सड़क से कुछ दूरी पर, कार्टर रोड पर आशीर्वाद के सामने मैं ऐसे कई नज़ारें देख चुका हूं।”
वो आगे लिखते हैं, “राजेश खन्ना के बाद मैंने किसी भी दूसरे स्टार के लिए ऐसी दीवानगी नहीं देखी। राजेश के फैन्स में 6 से 60 साल तक के लोग शामिल थे। ख़ासतौर पर लड़कियां तो उनकी दीवानी थीं। उनके करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म हाथी मेरे साथी लिखने में भी मेरा योगदान था। मुझे याद है कि इस फिल्म की शूटिंग के वक़्त मैं उनके साथ मद्रास (चेन्नई) और तमिलनाडु की कई दूसरी लोकेशन्स पर गया। मैंने देखा उन इलाकों में भी राजेश खन्ना के नाम पर भारी भीड़ जमा हो जाती थी। ये हैरत की बात थी क्योंकि वहां हिंदी फिल्में आमतौर पर ज़्यादा नहीं चलती थीं।
सलीम खान आगे लिखते हैं कि, “तमिल फिल्म इंडस्ट्री ख़ुद काफ़ी बड़ी थी और उसके अपने मशहूर स्टार थे, लेकिन राजेश खन्ना का करिश्मा ही था जो भाषा की सरहदों को भी पार कर गया था। ये करिश्मा उन्होंने उस दौर में कर दिखाया जब न तो टेलीविजन था न ही 24 घंटे का एफ़एम रेडियो और न बड़ी-बड़ी पीआर एजेंसीज़। लेकिन चार-पांच साल के बाद उनके करियर की ढलान भी शुरू हुई। जिस तरह उनकी बेपनाह कामयाबी की कोई एक वजह नहीं थी, उसी तरह उनके करियर के ढलने की भी कोई एक वजह नहीं थी। उनकी पारिवारिक ज़िंदगी के तनाव, इंडस्ट्री के लोगों के साथ उनका बर्ताव और कुछ नया न करना…ऐसी कई वजहें थीं ।लेकिन मुझे लगता है कि इसमें क़िस्मत का खेल भी था।”
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