Ramprasad Bismil Birth Anniversary: स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी शहीद राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ (Ramprasad Bismil) की आज 123वीं जयंती है। शायर, लेखक, इतिहासकार, साहित्यकार रामप्रसाद बिस्मिल ने महज 11 साल की उम्र ठान लिया था कि उनको देश के लिए ही जीना-मरना है। बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था।
बचपन में राम प्रसाद बिस्मिल देश की आजादी ऐसे दीवाने हुए की उन्होंने अपनी जिंदगी वतन के नाम लिख दी। इनकी वीरता की कहानी आज भी युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं। इस बात की जानकारी उनके शायरी और आत्मकथा से मिलती है। जब उन्हें फांसी पर लटकाया जा रहा था, उस समय उन्होंने यह शेर गुनगुनाया था।
अब न अह्ले-वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है!’
बिस्मिल का जन्म उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर जिले के राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम मुरलीधर था। बचपन में इन्हें पढ़ने में कोई रुचि नहीं थी। इसके लिए कई बार पिटाई भी खा चुके थे। इस वजह से पिता ने इनका दाखिला उर्दू स्कूल में करा दिया। उर्दू मिडिल स्कूल से इन्होंने प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की।
इसी दौरान मुंशी इन्द्रजीत से मिले, जिन्होंने ‘बिस्मिल’ स्वामी सोमदेव का सेवक बनाया। उनके संगत में रहने के कारण ‘बिस्मिल’ में देशभक्ति की ज्वाला धधक उठी। लेकिन ये आग तब और दहक उठी जब इनके बडे़ भाई परमानन्द को 1915 में फांसी दे दी गई, तब इनकी देशभक्ति को और बल मिला।
इसके बाद ‘बिस्मिल’ ने 6 अन्य साथियों के साथ मिलकर काकोरी कांड को अंजाम दिया। इस वारदात को अंजाम देने में उनके साथ राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, अशफाक उल्ला खां, शचीन्द्र नाथ सान्याल, भूपेन्द्र नाथ सान्याल व बनवारी लाल थे। काकोरी कांड में इन लोगों को अभियुक्त बनाया गया और 19 दिसम्बर 1927 को गोरखपुर की जेल में ‘बिस्मिल’ को फांसी दे दी गई।
देश के अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बिस्मिल ने फांसी का फंदा गले में डालने से पहले भी ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ कविता पढ़ी थी। देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले इस महान स्वतंत्रता सेनानी को आज भी देश याद करता है।
राम प्रसाद बिस्मिल महान स्वतंत्रता सेनानी, योद्धा, वीर तो थे ही इसके साथ ही उनमें शायर, कवि की भी झलक देखने को मिली। इनकी वीरता की कहानी आज भी सुनाई और पढ़ाई जाती है। राम प्रसाद बिस्मिल की 123वीं जयंती पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-
राम प्रसाद बिस्मिल सिर्फ 8वीं कक्षा तक ही स्कूली शिक्षा प्राप्त कर पाए, क्योंकि उनके घर की आर्थिक स्थिति खराब थी।
बिस्मिल महज 11 साल की उम्र में आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।
राम प्रसाद बिस्मिल पर आर्य समाज से काफी प्रभावित थे।
ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटने के लिए काकोरी कांड रचा।
काकोरी केस के बाद ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।
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