मुगल गार्डन के खुलने का हर कोई बेसब्री से इन्तजार करता है। देश से नहीं बल्कि विदेश से भी कई सैलानी राष्ट्रपति भवन में बने इस खूबसूरत बगीचे को देखने आते हैं। हर साल मुगल गार्डन फरवरी महीने की 6 तारीख को खुलता है और पूरे एक महीने तक आम जनता और सैलानियों का स्वागत करता है। इसके बाद 10 मार्च के आस-पास इसे बंद कर दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक इस साल भी मुगल गार्डन आम जनता के लिए 6 फरवरी से 10 मार्च के बीच खोला जाएगा। तो हो जाइए तैयार, दुनियाभर की प्रजातियों के रंग-बिरंगे फूलों को देखने के लिए…
कहां स्थित है मुगल गार्डन?
मुगल गार्डन भारत की राजधानी नई दिल्ली में है। यह राष्ट्रपति भवन (नॉर्थ एवेन्यू) के पीछे की तरफ स्थित है। आमतौर पर सैलानियों और आम जनता के लिए प्रवेश व निकासी की व्यवस्था राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 35 से होती है। यह गार्डन करीब 13 एकड़ एरिया में फैला हुआ है। मुगल और ब्रिटिश स्थापत्य कला का मोहक नमूना है मुगल गार्डन। यहां ब्रिटिश और मुगल स्टाइल में झरने और अन्य कलाकृतियों का निर्माण किया गया है।
कैसे पहुंचे
मुगल गार्डन के लिए सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन सेंट्रल सेक्रेटरिएट है। यह मेट्रो स्टेशन वायलेट और येलो मेट्रो लाइन से जुड़ा है। इस मेट्रो स्टेशन पर पहुंचकर आपको मुगल गार्डन जाने के लिए रेल भवन की तरफ से बाहर निकलना होगा। इससे आपको राष्ट्रपति भवन का गेट नंबर 35 पास पड़ेगा।
Timing and Entry Fee
इस बार एंट्री की ऑनलाइन व्यवस्था होने जा रही है। आप घर बैठे उस वक्त का स्लॉट ऑनलाइन बुक करा लीजिये, जब आप वहां पहुंचेंगे। आपको टाइम बुक होने का एसएमएस आ जाएगा। निर्धारित वक्त पर पहुंचें, एसएमएस दिखाकर सीधे अंदर चले जाइये। लाइन में लगने की जरूरत ही नहीं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस गार्डन में भरपूर समय बिताने, मुगल कला और ब्रिटिश आर्ट को देखने के लिए आपको किसी तरह का शुल्क नहीं देना होता है। यहां एंट्री फ्री होती है। यह गार्डन हर रोज सुबह साढ़े 9 बजे से शाम 4 बजे तक आम पब्लिक के लिए खुला रहता है। सोमवार को यह गार्डन साफ-सफाई और मेंटेनेंस के लिए बंद रहता है।
एंट्री के समय रखें ध्यान
जब भी मुगल गार्डन घूमने जाएं तो वहां जाते समय कुछ चीजें अपने साथ लेकर न जाएं। इन चीजों या सामान के साथ आपको मुगल गार्डन में प्रवेश नहीं मिलेगा। यह सामान आपसे लेकर बाहर ही रख दिया जाएगा। जैसे- पानी बोतल, फास्ट फूड या चिप्स के पैकेट, ब्रीफकेस, बड़े हैंडबैग व लेडीज पर्स, कैमरा, रेडियो और ट्रांजिस्टर, खाने के डिब्बे, छाता या अन्य इंस्ट्रूमेंट्स।
क्या है खास?
देश में गार्डन और इको पार्क तो बहुत हैं लेकिन मुगल गार्डन में देखने लायक है मुगल कालीन विरासत और कला। साथ ही करीब 13 एकड़ में फैला यह पार्क 175 मीटर चौड़ा है। जो चार भागों में बांटा गया है – चतुर्भुजकार उद्यान, लंबा उद्यान, पर्दा उद्यान और वृत्ताकार उद्यान। यहां करीब 3000 से ज्यादा फूलों के पौधे हैं। जिनमें करीब 135 प्रकार के सिर्फ गुलाब हैं। यहां 33 जड़ी बूटी के पौधे और 300 तरह की बोनसाई देखने को मिलती हैं।
मुगल गार्डन का इतिहास?
भारत की स्वतंत्रता से पहले राष्ट्रपति भवन का नाम वायसराय हाउस हुआ करता था। जब 1911 में अंग्रेजों ने यह तय किया कि अब भारत की राजधानी कोलकाता की जगह दिल्ली होगी, उस समय वायसराय हाउस को नए तरीके से डिज़ाइन करने के लिए महान वास्तुकार, एड्विन लैंडसियर लूटियंस को इंग्लैंड से भारत बुलाया गया। ताकि वह प्रशासनिक कार्यों के लिए जरूरी इमारतों को डिजाइन करें। लुटियंस मुगल कला से प्रभावित था और उसी कला को ध्यान में रखते हुए उसने इस गार्डन को डिजाइन किया। इसीलिए इस गार्डन का नाम मुगल गार्डन रखा गया।
This post was last modified on February 3, 2020 3:54 PM
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