मीराबाई के गुरु रहे संत रविदास की जयंती आज, पढ़ें कुछ रोचक किस्से

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अपने आध्यात्मिक उपदेशों से भारतीय समाज में व्याप्त कुप्रथाओं को दूर करने वाले महान समाज सुधारक, परम ज्ञानी संत शिरोमणि रविदास की आज जयंती है। गुरु रविदास का जन्म वाराणसी के सीर गोवर्धन में माघ पूर्णिमा के दिन संवत 1433 को हुआ था। इस साल यानी 2020 में संत रविदास की 643 वीं जयंती मनाई जा रही है। जहां उनका जन्म हुआ था उस स्थल पर एक भव्‍य मंद‍िर स्‍थ‍ित है और उनकी जयंती के अवसर पर यहां तीन दिन तक उत्सव मनाया जाता है।

संत रविदास जी के पिता जूते बनाने का काम करते थे। रविदास जी भी अपने पिता की जूते बनाने के काम में हाथ बंटाया करते थे। इस कारण उन्हें जूते बनाने का काम पैतृक व्यवसाय के तौर पर मिला। उन्‍होंने इसे सहर्ष अपनाया और पूरी लगने के साथ जूते बनाया करते थे। साधु-संतों के प्रति शुरुआत से ही संत रविदास जी का झुकाव रहा है। जब भी उनके दरवाजे पर कोई साधु- संत या फकीर बिना जूते चप्पल के आता था, तो वह उन्हें बिना पैसे लिए जूते चप्पल दे दिया करते थे।

संत रविदास समाज में फैले भेद-भाव और छुआछूत जैसी कुरीतियों का खुलकर विरोध करते थे। जीवनभर उन्होंने लोगों को अमीर-गरीब हर व्यक्ति के प्रति एक समान भावना रखने की सीख दी। उनका मानना था कि हर इंसान को भगवान ने बनाया है, इसलिए सभी को एक समान ही समझा जाना चाहिए। वह लोगों को एक दूसरे से प्रेम और आदर करने की सीख दिया करते थे।

संत रविदास बहुत ही सरल हृदय के थे और दुनिया के पाखंड छोड़कर हृदय की पवित्रता पर बल देते थे। इस बारे में उनकी एक कहावत – “जो मन चंगा तो कठौती में गंगा” काफी प्रचलित है। इस प्रचलित कहावत से जुड़ी एक कथा भी है।

कहते हैं कि एक बार एक महिला संत रविदास के पास से गुजर रही थी। संत रविदास लोगों के जूते सिलते हुए भगवान का भजन करने में मस्त थे। तभी वह महिला उनके पास पहुंची और उन्हें गंगा नहाने की सलाह दी। फिर क्या मस्तमौला संत रविदास ने कहा कि जो मन चंगा तो कठौती में गंगा। यानी यदि आपका मन पवित्र है तो यहीं गंगा है। कहते हैं इस पर महिला ने संत से कहा कि आपकी कठौती में गंगा है तो मेरी झुलनी गंगा में गिर गई थी। ..तो आप मेरी झुलनी ढ़ूढ़ दीजिए। इस पर संत रविदास ने अपनी चमड़ा भिगोने की कठौती में हाथ डाला और महिला की झुलनी निकालकर दे दी। उनके इस चमत्कार से महिला की आँखें फटी की फटी रह गयी गई और उनकी प्रसिद्धि के किस्से दूर-दूर तक फैल गए।

मीराबाई के गुरु

कहते हैं कि भगवान कृष्ण की परमभक्त मीराबाई के गुरु संत रविदास थे। मीराबाई ने संत रविदास से ही प्रेरणा लेकर भक्तिमार्ग को अपनाया था। लोककथाओं में भी इस बात का जिक्र है कि संत रविदास ने कई बार मीराबाई की जान बचाई थी।


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This post was last modified on February 9, 2020 6:29 PM

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