बिहार पुलिस (Bihar Police) के रिटायर्ड डीएसपी के चंद्रा (K Chandra) ने पिछले दिनों राजधानी पटना (Patna) के बेऊर इलाके में स्थित अपने घर में खुदकुशी कर ली। पुलिस सेवा में रहते हुए 64 अपराधियों का एनकाउंटर करने वाले और दर्जनों कुख्यात अपराधियों को हवालात की हवा खिलाने वाले कड़क अफसर के चंद्रा (K Chandra) ने मंगलवार को अपनी लाइसेंसी पिस्टल से खुद को गोली मार ली थी। के चंद्रा की खुदकुशी ने सबको स्तब्ध कर दिया था। अब इस मामले में बेऊर थाना पुलिस ने शुरुआती छानबीन के आधार पर पड़ोसी व बैंक के रिटायर अधिकारी संतोष सिन्हा के खिलाफ बेऊर थाने में एफआईआर दर्ज की है।
बता दें कि रिटायर्ड डीएसपी ने सुसाइड नोट में पड़ोसी पर प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था। इसी आधार पर मृतक डीएसपी के पुत्र निश्चय वशिष्ठ की ओर से बेऊर थाने में केस दर्ज कराया गया। बेऊर थाना प्रभारी का यह भी कहना है कि आत्महत्या से पहले रिटायर डीएसपी ने प्रताड़ना आदि के बारे में पड़ोसी के बारे में कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई थी, लेकिन एक सुसाइड नोट में डीएसपी ने खुद इस बात का जिक्र किया है कि पड़ोसी की प्रताड़ना से वह काफी अवसाद में थे। उन्होंने बताया कि वह 16 साल से ठीक से सो भी नहीं पा रहे थे, जिससे वह लगातार डिप्रेशन में जा रहे थे। इन्हीं सारी बातों से परेशान होकर उन्होंने खुदकुशी जैसा कदम उठा लिया है।
मृत डीएसपी के परिजनों से पूछताछ में पता चला है कि उन्होंने नगर निगम में भी पड़ोसी संतोष की शिकायत की थी, लेकिन वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। खुदकुशी नोट में भी इस बात का जिक्र है कि नगर निगम ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। खुदकुशी नोट में के चंद्रा ने लिखा है कि पड़ोसी संतोष ने उनके घर के सामने वाली रोड पर राबिश गिरवा कर रोलर चलवा दिया है। इस वजह से वहां जलजमाव होता है, जिससे वे हमेशा डरे रहते हैं कि बरसात में उनके घर के किसी की जान उसी जलजमाव के चलते हो जाएगी। बेऊर थाना प्रभारी ने बताया पुलिस नगर निगम पर लगे आरोपों की भी जांच करेगी।
पटना जिले का मोकामा क्षेत्र अपराध और वर्चस्व की लड़ाई का केंद्र रहा है। यहाँ वर्चस्व की जंग का तरीका बस बदलता रहा। 1990 से 2000 के दशक में इस इलाके में जमकर खून-खराबा और अपहरण आदि होने लगा था। अपराधियों के आपसी गैंगवार में आए दिन गोलियां की तड़तड़ाहट से पूरा इलाका गूंजता रहता था। इसी दौरान एक अक्टूबर 2002 को यहां के चंद्रा की तैनाती बतौर पुलिस इंस्पेक्टर हुई। यहां की कमान संभालते ही के चंद्रा ने अपने हिसाब से क्राइम को कंट्रोल करना शुरू किया।
मोकामा थाना में के चंद्रा का डेढ़ साल का कार्यकाल उनके पेशेवर जीवन की बड़ी उपलब्धि बनी। जहां अब तक अपराधियों के गिरोहों के बीच वर्चस्व को लेकर गोलियां चलती थी वहीं अब एक ओर से पुलिस ने भी कई कुख्यात बदमाशों पर सीधी दबिश बनानी शुरू कर दी। चंद्रा के नेतृत्व में अब पुलिस का इकबाल बुलंद होने लगा था। उस दौर में मोकामा में अपराधियों और पुलिस के बीच एनकाउंटर की कई घटनाओं ने चंद्रा को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का तमगा दिया।
मोकामा के कुख्यात अपराधियों नागा सिंह और नाटा सिंह के गिरोह सहित कई अन्य नामी गिरामी बाहुबलियों के खिलाफ चंद्रा ने सीधी जंग छेड़ दी। उनके कार्यकाल में मोकामा थाने में हत्या के 25 मामले दर्ज हुए। इसमें गैंगवार में हत्या और एनकाउंटर में हुई मौत के करीब तीन दर्जन मामले रहे। वहीं एके 47, एसएलआर और पिस्टल जैसे अत्याधुनिक हथियार भी जब्त किए गए थे।
सन् 1980 के दशक से ही मोकामा में रमेश सिंह उर्फ नाटा सिंह एक खूंखार अपराधी माना जाता था। चंद्रा के कमान संभालने के बाद नाटा का पुलिस से भी आमना सामना हुआ और ऐसे ही एक मुठभेड़ में चंद्रा के नेतृत्व वाली पुलिस टीम ने नार्टा सिंह को एनकाउंटर में मार गिराया। चंद्रा के लिए मोकामा में यह एनकाउंटर बेहद खास रहा।
चंद्रा के समय में बिहार में नागा सिंह आतंक का दूसरा नाम बन चुका था। 2002 से 2004 के बीच चंद्रा का सर्वाधिक बार नागा सिंह से मुठभेड़ हुआ, लेकिन हर बार नागा बच निकलने में कामयाब रहा। इस दौरान पुलिस की गोलियों से नागा सिंह के करीब डेढ़ दर्जन साथी ढेर हुए। अप्रैल 2004 में जब चंद्रा का तबादला हुआ तब उन्होंने कहा था कि नागा सिंह को न पकड़ पाने का अफसोस रहेगा। हालाँकि, बाद में नागा सिंह भी पुलिस के हत्थे चढ़ा था।
डीएसपी के चंद्रा ने अपने सर्विस काल में अपराधियों की धर-पकड़ के दौरान दो बार गोली भी खाई। वे दोनों बार गोली लगने से घायल तो हुए लेकिन उनकी जान बच गई।
वहीं, मोकामा के कई लोगों का मानना है कि चंद्रा ने तब जिस प्रकार की पुलिस सख्ती दिखाई वह पीपुल फ्रेंडली पुलिसिंग नहीं थी। ऐसे ही एक विवाद में चंद्रा के खिलाफ मोकामा के डॉक्टर रंजीत कुमार ने कोर्ट में मामला दर्ज कराया था और बाद में जीत हासिल की थी। बहरहाल, चंद्रा के आत्महत्या की खबर ने मोकामावासियों चौंका दिया है। जो इंस्पेक्टर अपने हाथों में एके 47 लहराते हुए खतरनाक अपराधियों से मुठभेड़ करता था, वह अपनी जिंदगी की जंग हार जाएगा, लोगों को यकीन नहीं हो रहा है।
मृतक डीएसपी को दो पुत्र व एक पुत्री है। एक पुत्र व एक पुत्री की शादी हो चुकी है। बड़ा बेटा प्रचेय श्रेष्ठ मुंबई के एक बैंक में अधिकारी है। छोटा पुत्र निश्चय श्रेष्ठ पिता के साथ ही में रहता था और पटना हाई कोर्ट में अधिवक्ता है। इसके साथ ही पुत्री प्रियंका अपने पति मदन मोहन के साथ में पुनाईचक में रहती है।
This post was last modified on June 25, 2020 1:39 PM
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