नई दिल्ली। आमतौर पर देखा जाता है कि टीम की जीत का श्रेय बल्लेबाजों को दिया जाता है लेकिन इस रणजी ट्रॉफी सीजन की बात की जाए तो गेंदबाजों ने सौराष्ट्र को पहली बार खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। कप्तान जयदेव उनादकट इसकी बानगी हैं। उनादकट ने न सिर्फ सीजन में सबसे ज्यादा 67 विकेट चटकाए बल्कि सही समय पर अपनी गेंदों की उपयोगिता साबित कर टीम की खिताबी जीत की इबारत लिखी।
उनादकट के बाद दूसरे नंबर पर मेघालय के लेफ्ट आर्म स्पिनर संजय यादव रहे। हरियाणा की ओर से खेलने वाले तेज गेंदबाज हार्विक पटेल तीसरे नंबर पर रहे। हालांकि जो काम उनादकट अपनी टीम के लिए करने में सफल रहे वो संजय और हार्विक नहीं कर पाए। दोनों की टीमों-मेघालय और हरियाणा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। बावजूद इसके यह दोनों सीजन में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे।
28 वर्षीय उनादकट ने इस सीजन में कुल 10 मैच खेले। इसमें उन्होंने 13.23 की औसत से सर्वाधिक 67 विकेट चटकाए। भारतीय टीम के लिए एकमात्र टेस्ट मैच खेलने वाले उनादकट इस दौरान सात बार पांच या उससे ज्यादा और तीन बार 10 या उससे ज्यादा विकेट हासिल कर चुके हैं।
नॉकआउट मुकाबलों में भी उनादकट का अहम योगदान रहा। उन्होंने आंध्र के खिलाफ खेले गए क्वार्टर फाइनल में पहली पारी में चार विकेट लिए। यह मैच ड्रॉ रहा था और सौराष्ट्र सेमीफाइनल में पहुंच गई थी, जहां उसका सामना गुजरात से हुआ और उनादकट ने यहां भी कमाल की गेंदबाजी करते हुए अपनी टीम को फाइनल में पहुंचाने में अहम योगदान दिया।
कप्तान उनादकट ने सेमीफाइनल में पहली पारी में तीन और दूसरी पारी सात विकेट चटकाए तथा कुल 10 विकेट लेकर सौराष्ट्र को खिताबी मुकाबले में पहुंचाया। फाइनल में उन्होंने पहली पारी में दो विकेट अपने नाम किए।
उनादकट का फाइनल से ज्यादा शानदार प्रदर्शन सेमीफाइनल में रहा, जहां उन्होंने एक के बाद एक लगातार दो रिकॉर्ड तोड़े।
सेमीफाइनल समाप्त होने के बाद वह 65 विकेट हासिल कर चुके थे और जोकि रणजी ट्रॉफी के किसी एक सीजन में किसी भी तेज गेंदबाज द्वारा लिया गया सबसे ज्यादा विकेट था और उन्होंने इस मामले में डोडा गणेश के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। पूर्व तेज गेंदबाज डोडा ने 1998-99 के रणजी ट्रॉफी सीजन में सबसे ज्यादा 62 विकेट लिए थे।
उनादकट ने साथ ही रणजी ट्रॉफी के किसी एक सीजन में किसी भी गेंदबाज द्वारा लिया गया सबसे ज्यादा विकेट के पूर्व लेफ्ट आर्म स्पिनर बिशन सिंह बेदी के 64 रिकॉर्ड को तोड़ा था।
उनादकट के इस बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर ही सौराष्ट्र ने अपना पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीता।
उनादकट के बाद अगर किसी गेंदबाज ने अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया तो वह रहे संजय यादव। मेघालय की ओर से खेलने वाले यादव ने सीजन के नौ मैचों की 15 पारियों में 12.65 के औसत से कुल 55 विकेट अपने नाम किए।
इस दौरान उन्होंने पांच बार पांच या उससे ज्यादा जबकि तीन बार 10 या उससे ज्यादा का विकेट लेने का कारनामा किया। यादव की टीम मेघालय हालांकि नॉकआउट में नहीं पहुंच सकी। टीम ने नौ मैचों में पांच जीते और तीन ड्रॉ भी खेले।
हरियाणा के हार्विक पटेल भी टीम से इतर बेहतरीन प्रदर्शन करने में सफल रहे। तेज गेंदबाज हार्विक ने नौ मैचों की 17 पारियों में 14.48 के औसत से 52 विकेट हासिल किए। हार्विक ने इस सीजन में चार बार पांच या उससे ज्यादा जबकि एक बार 10 या उससे ज्यादा विकेट लेने का कीर्तिमान स्थापित किया।
इन तीनों गेंदबाजों के अलावा सर्विसेस के दिवेश पठानिया नौ मैचों में 50 विकेट के साथ चौथे और त्रिपुरा के मणिशंकर मुरासिंह नौ मैचों में 49 विकेट के साथ पांचवें नंबर पर रहे।
This post was last modified on March 16, 2020 11:18 PM
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