चेन्नई, 18 दिसम्बर (आईएएनएस)| भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के सामने रणनीतिक उपग्रहों की मांग बढ़ गई है। वहीं एक दिन बाद लांच होने वाले भारतीय वायुसेना के जीसट-7ए सैन्य संचार उपग्रह की उल्टी गिनती मंगलवार अपराह्न् शुरू हो गई।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, “रणनीतिक क्षेत्रों में उपग्रहों की मांग बढ़ी है। लगभग छह-सात उपग्रहों को बनाने की योजना है।”
नवंबर में इसरो ने ‘हिसआईएस’ उपग्रह लांच किया था और इससे पैदा होने वाले आंकड़ों का भारतीय सेना भी इस्तेमाल कर सकेगी।
2013 में, इसरो ने भारतीय नौसेना के इस्तेमाल के लिए जीसैट7 या रुकमिणी संचार उपग्रह लांच किया था।
भारतीय वायुसेना के लिए जीसैट-7ए उपग्रह जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल (जीएसएलवी एमके2) के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा। यह बुधवार शाम प्रक्षेपण स्थल से उड़ान भरेगा।
इसरो के अनुसार, प्रक्षेपण के केवल 19 मिनट बाद ही, जीएसएलवी राकेट 2,250 किग्रा वाले जीसैट-7ए को भूस्थैतिक स्थानांतरित कक्षा (जीटीओ) में ले जाएगा।
उपग्रह का अधिकतम जीवनकाल आठ वर्षो का है। यह भारतीय क्षेत्र में कू बैंड में वायुसेना को संचार क्षमता प्रदान करेगा।
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