Satyajit Ray’s birth anniversary: सत्यजीत रे की वो 5 बेहतरीन फिल्में, जो आपको देखनी ही चाहिए

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सत्यजीत रे (Satyajit Ray) इंडियन सिनेमा जगत का बड़ा नाम हैं। सत्यजीत रे की गिनती उन सितारों में होती है जिन्होंने सात समंदर पार भी भारतीय सिनेमा का परचम बुलंद किया। माना जाता है कि भारतीय फिल्म जगत को दुनिया भर में पहचान सत्यजीत रे ने ही दिलाई। पाथेर पांचाली’, ‘देवी’ ‘चारुलता’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’ जैसी लोकप्रिय फिल्में देने वाले सत्यजीत रे अपने समय से बहुत आगे थे। 2 मई, 1921 को कलकत्ता में जन्मे सत्यजीत रे ने शुरुआत में विज्ञापन ऐजेंसी में बतौर जूनियर विज्युलाइजर काम शुरु किया था। इसी दौरान उन्होंने जिम कार्बेट की ‘मैन इटर्स ऑफ कुमायू’ और जवाहरलाल नेहरु की ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ जैसी कुछ बेहतरीन किताबों के आवरण बनाए।

सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा के एकमात्र ऐसे कलाकार हैं जिनके हिस्से भारत रत्न से लेकर दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और ऑस्कर अवॉर्ड आए। इसके अलावा उन्हें 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। सत्यजीत रे ने आर्ट सिनेमा को जिस अंदाज में उजागर किया कि देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने उनकी प्रतिभा का लोहा माना। उन्होंने भारतीय सिनेमा में नए-नए ट्रेंड स्थापित किए। आज उनकी जन्मतिथि पर हम बता रहे हैं उनकी 5 बड़ी फिल्मों के बारे में-

1. अपू ट्रायोलॉजी- इस फिल्म को तीन भागों में बनाया गया था। पहला भाग पाथेर पांचाली, दूसरा भाग अपराजितो और तीसरा भाग द वर्ल्ड ऑफ अपू था। फिल्म के तीनों भागों को दुनियाभर में काफी सराहा गया था। इस फिल्म से भारतीय सिनेमा के लिए अंतराष्ट्रीय कला क्षेत्र के भी दरवाजे खुल गए थे।

2. चारूलता- इस फिल्म को अपने समय के आगे की फिल्म माना जाता है। फिल्म में महिला के व्यभिचार और अकेलेपन को बहुत सहजता से बताती है। फिल्म में एक महिला के अकेलेपन को दिकाया गया है। फिल्म की कहानी ये है कि एक महिला अपने मेंटर से प्रेम में पड़ जाती है और मेंटर उनके पति का चचेरा भाई होता है।

3. महानगर- इस फिल्म में सत्यजीत रे ने बड़ी खूबसूरती से बड़े शहरों में रहने वाले लोगों के जीवन को रेखांकित किया। फिल्म में दिखाया गया कि आम लोगों के लिए महानगरों में गुजर-बसर करना कितना मुश्किल होता है। साथ ही ये फिल्म ये भी बताती है कि किस तरह से बड़े शहर में रहने वाली महिलाएं ऑफिस में काम करने के साथ घर के काम भी बड़ी सहजता से करने में सक्षम होती हैं।

4. शतरंज के खिलाड़ी- ये फिल्म हिंदी भाषा में बनाई गई सत्यजीत रे की अकेली फिल्म थी। फिल्म की कहानी अवध के आखरी मुगल वाजिद अली शाह और उनके शासन के पतन पर फिल्माई गई थी। फिल्म में उनके मंत्रियों की कहानी बताई गई जिनको शतरंज खेलने की जिद रहती है और वो इसे आनंदित हो कर खेलने के लिए महफूज जगाहों की तलाश करते रहते हैं। फिल्म में मुख्य किरदार अमजद खान, संजीव कुमार और सईद जाफरी ने निभाया था।

5. दयामोई (देवी)- प्रभात कुमार मुखोपाध्याय की कहानी पर आधारित, ‘देवी’ फिल्म 19वीं सदी के ग्रामीण बंगाल में रहने वाली 17 वर्षीय दयामोई की कहानी है। फिल्म में दयामोई के अंधे पिता ने उसे देवी के रूप में प्रतिष्ठित किया। दयामोई का किरदार शर्मीला टैगोर ने बखूबी निभाया है, जो बाद में अपने ऊपर लगाए गए इस देवी-रूपी अवतार को तोड़ने में असमर्थ है।


भारतीय सिनेमा को नए मुकाम पर पहुंचाने वाले फ़िल्मकार थे सत्यजीत रे

जन्मदिन विशेष: नए ट्रेंड्स लाकर भारतीय सिनेमा को वैश्विक पहचान दिलाने वाले फिल्मकार थे सत्यजीत रे

This post was last modified on May 2, 2020 10:41 AM

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