लंबे समय से बीमार चल रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) का शनिवार दोपहर को निधन हो गया। भाजपा के तेजतर्रार नेताओं में शुमार रहे अरुण जेटली (Arun Jaitley) अटल बिहारी वाजपेयी सरकार और 2014 की नरेंद्र मोदी सरकार में बड़ी भूमिका में रहे। सौम्य छवि के धनी जेटली ने नई सरकार के गठन की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें कुछ समय के लिए अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने का समय दिया जाए। उन्होंने कहा है कि वह नई सरकार में फिलहाल कोई जिम्मेदारी लेना नहीं चाहते हैं।
जेटली को कुछ लोग मोदी के वास्तविक ‘चाणक्य’ और 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी के कार्यकाल के शुरू में प्रदेश में दंगों के बाद उनके ‘संकट के साथी’ कहते हैं। जेटली की तरीफ में मोदी उन्हें ‘बेशकीमती हीरा’ भी बता चुके हैं।
जेटली को शुरू से ही सत्ता का मंझा हुआ खिलाड़ी माना जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से देश के केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले जेटली सत्ता के सूत्र संचालन को अच्छी तरह समझते रहे हैं। वह 90 के दशक के आखिरी वर्षों से दिल्ली में ‘मोदी के आदमी’ माने जाते थे। गुजरात दंगों से जुड़ी मोदी की कानूनी उलझनों से पार पाने में उनको कानूनी सलाह देने वाले विश्वसनीय सलाहकार की भूमिका निभाने वाले जेटली बाद में उनके मुख्य योद्धा और सलाहकार के रूप में उभरे।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्रालय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ सरकार के प्रवक्ता जैसी चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाते हुए भी महंगी कलम, घड़ी और महंगी कारों का उनका शौक कम नहीं हुआ। मोदी सरकार में उनका काफी रसूख रहा और वो हमेशा नंबर-2 की भूमिका में नजर आए।
मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान जैसे कई मंत्रियों को जेटली का ‘अपना’ माना जाता है। उनका महत्व इतना अधिक था कि पार्टी के सभी प्रवक्ता जेटली के पास सलाह के लिए आते थे। उनके सहयोगी प्रकाश जावड़ेकर ने एक बार उन्हें ‘सुपर स्ट्रैटजिस्ट’ (उच्चतम रणनीतिकार) कहा था। मोदी ने 2014 की अमृतसर की चुनावी रैली में जेटली को ‘बेशकीमती हीरा’ कहा था। हालांकि जेटली वह चुनाव हार गए थे।
मंत्री बनने से पहले जेटली राज्यसभा में काफी समय तक विपक्ष के नेता रहे। वह दिल्ली के सत्ता के गलियारों के पुराने चेहरे हैं। वह मीडिया जगत के चहते राजनीतिज्ञों में हैं क्योंकि वह मीडिया से बहुत खुला व्यवहार करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और जेटली लंब समय के साथी हैं। मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे, जब उन्हें 90 के दशक के आखिर में भाजपा का महासचिव बनाया गया तो वह दिल्ली में 9, अशोक रोड पर जेटली के सरकारी बंगले में अलग से बनाए गए एक क्वॉर्टर में रहते थे। उस समय जेटली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे। ऐसा माना जाता है कि केशु भाई पटेल को गुजरात के मख्यमंत्री पद से दफा कर मोदी को मुख्यमंत्री बनाने की चाल में जेटली भी शामिल थे।
जेटली ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और आपातकाल के समय दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे। इंदिरा तानाशाही के खिलाफ विश्वविद्यालय में आंदोलन चलाने के आरोप में 19 माह जेल में रहे। आपातकाल खत्म होने बाद उन्होंने वकालत शुरू की।
वर्ष 2006 में वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने। वर्ष 2014 में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के बावजूद जेटली अमृतसर में चुनाव हार गए थे। फिर भी मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में वित्त, कंपनी मामलों का कार्यभार दिया। उन्हें बीच में रक्षा और सूचना प्रसार मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार भी दिया गया। हालांकि स्वास्थ्य की खराबी और पिछले साल किडनी ट्रांसप्लांट के कारण उन्हें 3 माह अवकाश लेना पड़ा था।
वह इलाज के लिए अमेरिका गए थे इस कारण वह मोदी सरकार-1 का छठा और आखिरी बजट पेश नहीं कर सके थे। जेटली ने मोदी को लिखा है कि डाक्टरों ने उनकी स्वास्थ्य की बहुत सी चुनौतियों को दूर कर दिया पर वह अपनी सेहत पर ध्यान देने के लिए फिलहाल सरकारी दायित्व से दूर रहना चाहते हैं पर उस दौरान उन्हें पर्याप्त समय मिलेगा जिसमें वह अनौपचारिक रूप से सरकार और पार्टी की मदद कर सकेंगे। मगर आखिरकार यह सिलसिला भी थम गया और आज दोपहर दिल्ली AIIMS में उनका निधन हो गया।
अरुण जेटली: DU छात्रसंघ अध्यक्ष से लेकर वित्त मंत्री तक का सफर, जानें उनके जीवन की 10 बातें
देश के पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का निधन, लंबे समय से चल रहे थे बीमार
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