शाहीन बाग की महिलाओं के साथ आए जामिया के छात्र

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नई दिल्ली, 3 जनवरी (आईएएनएस)| नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में स्थानीय महिलाओं का प्रदर्शन शुक्रवार को भी जारी रहा। शुक्रवार को यहां अन्य दिनों के मुकाबले कहीं ज्यादा महिलाएं सीएए का विरोध करने के लिए एकत्र हुई। वहीं जामिया के छात्रों ने भी अब खुलकर शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल होने का फैसला किया है। शुक्रवार रात जामिया से प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा हुजूम इन महिलाओं का साथ देने के लिए शाहीन बाग पहुंचा। शाहीन बाग की इन महिलाओं के समर्थन में जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने कैंडल मार्च भी निकाला।

ओखला से शाहीन बाग की ओर आने वाले मुख्य मार्ग के बीचोबीच यह धरना पिछले 22 दिनों से जारी है। गुरुवार को प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने यहां धरना समाप्त करने का ऐलान किया था। इसके बाद प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोकझोंक व धक्का-मुक्की भी हुई।

शुक्रवार को यहां पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा महिलाएं प्रदर्शन में शामिल हुईं। महिलाओं का साथ देने के लिए सैकड़ों की तादाद में पुरुष भी धरना स्थल के इर्द-गिर्द मौजूद रहे। वहीं शुक्रवार देर शाम जामिया के छात्र भी इस प्रदर्शन में शामिल होने जामिया से शाहीन बाग पहुंच गए। छात्रों के साथ ही सैकड़ों की तादाद में स्थानीय लोगों ने भी जामिया से शाहीनबाग तक पैदल मार्च किया।

शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही 67 वर्षीय नूर बेगम ने कहा कि वह नहीं चाहती कि उनके बेटे को पुलिस गिरफ्तार करे या उसके खिलाफ कोई कार्रवाई हो। नूर बेगम ने कहा, “उन्हें अपनी चिंता नहीं है और वह अपने बच्चों के लिए अपनी जान तक कुर्बान करने को तैयार हैं।” नूर बेगम ने कहा, “वह धरना स्थल से तभी हटेगी जब सीएए को वापस लिया जाए या फिर पुलिस उन्हें गोली मार दे।”

हालांकि जामिया की कुछ छात्राएं अब शाहीन बाग के इस प्रदर्शन से दूर हो गई हैं। उनका कहना है कि ओखला व शाहीन बाग के स्थानीय नेता इस प्रदर्शन के द्वारा अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं। यहां मौजूद एक छात्र शरजील ने बताया कि हिंसा की आशंका के चलते उन्होंने शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही महिलाओं से धरना समाप्त करने की अपील की थी। शरजील भी स्थानीय नेताओं द्वारा इस आंदोलन का अपने पक्ष में इस्तेमाल किए जाने से नाखुश हैं।

गौरतलब है कि गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ शाहीन बाग पहुंचे पूर्व कांग्रेसी विधायक मोहम्मद आसिफ ने प्रदर्शनकारी महिलाओं से यहीं डटे रहने की अपील की थी।

 

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