भक्तों के श्रद्धाभाव की खबरें आए दिन आती रहती हैं, जिनमें भक्त का अपने भगवान में अपार विश्वास होता है। इसी तरह का विश्वास महारष्ट्र के शिंगणापुर गांव के लोग भगवान शनि में रखते हैं। इस गांव में किसी भी घर में कोई दरवाजा नहीं होता, क्योंकि लोगों का मानना है कि स्वयं शनि भगवान उनकी रक्षा करते हैं।
बता दें कि इस बार 3 जून को शनि जयंती मनाई जाएगी।
दरअसल, महाराष्ट्र के अहमद नगर से लगभग 35 किमी की दूरी पर शिंगणापुर स्थित है। यहां का मंदिर ‘शिंगणापुर का शनि’ कई मायनों में और मंदिरों से काफी अलग है। इसे मंदिर की कुछ बातें इसे खास बनाती और भक्तों के श्रद्धाभाव का उदहारण पेश करती हैं। यह मंदिर शनि भगवान का मंदिर है। यहां स्थित काले रंग की शिला को शनि भगवान का प्रतीक माना जाता है और इसकी पूजा की जाती हैv शनिवार को इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि शनि भगवान यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इस मंदिर की खासियत की बात करें तो पूरी दुनिया में शिंगणापुर का शनि इकलौता ऐसा मंदिर है, जो बिल्कुल खुले में है यानी न इस मंदिर की कोई दिवार है और न ही कोई छत। लोग खुले में स्थित शनि भगवान की मूर्ति की पूजा करते हैं। इस मंदिर में कोई पुजारी भी नहीं है। भक्त स्वयं शनि भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। साथ ही यह इकलौता ऐसा गांव है जहां घरों, दफ्तरों में दरवाजे नहीं होते। यहां तक की बैंक शाखाओं में भी दरवाजे नहीं लगाए जाते हैं। कुछ घरों में जानवरों के सुरक्षा के लिए दरवाजे हों भी तो उनमें कभी ताला नहीं लगाया जाता है। गांव के लोग इस तर्ज पर दरवाजे नहीं लगाते क्योंकि उनका विशवास है कि स्वयं भगवान शनि उनके घरों और उनकी रक्षा करते हैं।
शिंगणापुर के शनि महाराज की कहानी
गांव के लोगों के मुताबिक, कई साल जब इस गांव में भयंकर बाढ़ आई तो उसी दौरान एक काले रंग का विशाल शिला बहता हुआ आया और एक पेड़ के नीचे जाकर रुक गया। एक युवक ने शिला को देखकर कमाई की योजना बनाई और जब उसने शिला को तोड़ने की कोशिश की तो यह देखकर हैरान रह गया कि शिला पर जहां उसने आघात किया, वहां से रक्त जैसा लाल द्रव निकल रहा था। यह देख वहां पूरा गांव इकट्ठा हो गया। उसी रात एक ग्रामीण को सपने में शनि भगवान ने दर्शन देते हुए कहा कि गांव में जो शिला बहकर आई है, वह मेरा ही प्रतीक है, उसे गांव में किसी पवित्र जगह स्थापित कर दोगे तो तुम्हारे गांव में हमेशा खुशहाली रहेगी। इसके बाद शिला को स्थापित कर दिया गया और उसकी पूजा की जाने लगी।
इसी विश्वास के चलते पूजा करने के साथ गांव की सारी समस्याएं खत्म होने लगी और गांव में खुशहाली आती गई। आगे चलकर यह शिला शिंगणापुर के शनि देवता के नाम से मशहूर हो गया।
यहां के ट्रस्ट ने इस मंदिर और भक्तों के लिए कई सुविधाओं की जिम्मेदारी उठाई जैसे अनुष्ठानों के लिए ट्रस्ट ही पुजारी उपलब्ध कराता है। साथ ही यहां महिलाओं को पूजा करने का अधिकार भी ट्रस्ट ने ही दिया।
पूरे गांव का रक्षक शनिदेव को माना जाता है और आजतक यहां चोरी की कोई घटना भी नहीं हुई है। यहां की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच में भी लाकर्स में ताले नहीं लगाए जाते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि जब भी कोई खोट नियति के साथ यहां आता है, तो उसे स्वमेव सजा मिल जाती है. कैसे? यह आज तक किसी को नहीं पता।
This post was last modified on June 1, 2019 4:05 PM
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