अपने देश में अंग्रेजीदां लोगों को इज्ज़त भरी निगाहों से देखा जाता है। देखा जाए तो भारत में अंग्रेजी दो तरह की होती है। एक वो जो आम लोग बोलते हैं और दूसरी वो जो शशि थरूर बोलते हैं। ट्विटर पर शशि थरूर के अंग्रेजी शब्दों का भौकाल है। आए दिन वह अंग्रेजी के ऐसे-ऐसे शब्द दागते हैं जिससे लोगों के दिमाग के तार हिल जाएँ। शशि थरूर ट्विटर पर सबसे पहले सक्रिय होने वाले पहले भारतीय नेताओं में से एक हैं। इसलिए शशि थरूर भारत के ट्विटर किंग के रूप में जाने जाते हैं। आज शशि थरूर का जन्मदिन है। तो आइये सीखते हैं कुछ ऐसे ही अनसुने शब्दों को जिन्हें शशि थरूर ने फेमस कर दिया।
थरूर ने 8 मई को एक ट्वीट किया, जिसे समझने में सोशल मीडिया यूजर्स का दिमाग चकरा गया। उन्होंने ट्वीट किया था:
संदर्भ के लिए जान लेते हैं कि उन्होंने यह ट्वीट सुनंदा पुष्कर की मृत्यु के बारे में अर्नब गोस्वामी के चैनल रिपब्लिक द्वारा किए गए आरोपों पर किया था।
अगर शब्दों पर गौर करें तो:
Exasperating- very irritating यानी बुरी तरह चिड़चिड़ा देने वाला
farrago- a confused mixture यानी तथ्यों और कल्पना की ऐसी मिली-जुली बातें जो आपको कंफ्यूज़ कर दें
distortions-तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाना
masquerading- pretending to be someone you are not- अपने आप को वैसा दिखाना जैसा आप असल में नहीं हैं।
यानी आसान शब्दों में कहें तो थरूर के कहने का मतलब था,”ये दावे तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए हैं। वे कंफ्यूज करने वाले, पूरी तरह झूठे और गुस्सा दिलाने वाले हैं और इन्हें पेश करने वाला शख्स खुद को पत्रकार बताता है लेकिन वह ऐसे शख्स हैं जिसका कोई उसूल नहीं है।”
वैसे ही एक बार थरूर ने पीएम मोदी के ऊपर लिखी अपनी एक किताब का जिक्र करते हुए अपने ट्वीट में ‘floccinaucinihilipilification’ (फ्लोक्सिनॉसिनिहिलिपिलिफिकेशन) शब्द का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद लोगों ने उनसे पूछना शुरू कर दिया कि आखिर इस शब्द का मतलब होता क्या है। दरअसल, इस शब्द का मतलब होता है- किसी भी बात पर आलोचना करने की आदत, चाहे वो गलत हो या सही।
इसके बाद थरूर ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने एक और अधिक लंबे और कठिन अंग्रेजी शब्द का इस्तेमाल किया, जिसे एक साथ बोल पाना सबके लिए शायद संभव न हो।
थरूर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि वह माफी मांगते हैं अगर उनके पिछले ट्वीट से किसी को दिक्कत हुई तो। आगे उन्होंने कहा कि इसे ‘hippopotomonstrosesquipedaliophobia’ (हिप्पोपोटोमोनस्ट्रोसेस्किप्डइलालियोफोबिया) कहते हैं यानी लंबे शब्दों का डर।
आपको बता दें कि 9 मार्च 1956 को लंदन में पैदा हुए शशि थरूर भारतीय जनजीवन से जुड़े कई उपन्यास और विश्लेषणात्मक किताबें लिखकर दुनिया भर में नाम कमा चुके हैं। शशि थरूर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने तीन साल की उम्र में ही किताबें पढ़नी शुरू कर दी थीं। शशि थरूर ने 1978 में अमरीका के फ्लैशर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से पीएचडी की थी और तभी से वह संयुक्त राष्ट्र से जुड़े। थरूर संयुक्त राष्ट्र में उप महासचिव के रूप में कार्यरत थे। शशि थरूर ने राजनीति और इतिहास से जुड़े विषयों पर कई किताबें भी लिखी हैं।
शशि थरुर ने 1978 में संयुक्त राष्ट्र में काम करना शुरू किया था। करीब तीस सालों में उन्होनें शरणार्थी विभाग, शांति दलों, महासचिव के कार्यालय, जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है और उनके काम को काफी सराहा भी गया थ। महासचिव पद के चुनाव की दौड़ में वह भारत की ओर से उम्मीदवार भी थे। लेकिन उन्हें दक्षिण कोरियाई राजनयिक बान की मून ने उस समय शिकस्त दी जब सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में से एक ने थरूर के खिलाफ वोट किया।
मूल रुप से केरल के रहने वाले शशि थरूर 2009 में तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से सांसद बने। इसके बाद यूपीए सरकार में विदेश राज्य मंत्री भी रहे। वर्तमान में, वे विदेशी मामलों में संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में सेवारत हैं।
This post was last modified on March 9, 2019 10:44 AM
नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…
इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…
अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।
पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना
KBC 14 Play Along 23 September, Kaun Banega Crorepati 14, Episode 36: प्रसिद्ध डिजाइनर्स चार्ल्स…
राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…