श्रीकृष्ण ने दिवाली से एक दिन पहले किया था नरकासुर का संहार (6 नवंबर : नरक चतुर्दशी)

Follow न्यूज्ड On  

नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)| कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ‘नरक चतुर्दशी’ पर्व मनाया जाता है, जिसे नरक चौदस, रूप चतुर्दशी, काल चतुर्दशी तथा छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और धर्मराज चित्रगुप्त का पूजन किया जाता है।

मान्यता है कि इस दिन यमराज का पूजन करने तथा व्रत रखने से नरक की प्राप्ति नहीं होती। इस दिन यमराज से प्रार्थना की जाती है कि उनकी कृपा से हमें नरक के भय से मुक्ति मिले। इसी दिन रामभक्त हनुमान का भी जन्म हुआ था और इसी दिन वामन अवतार में भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगते हुए तीनों लोकों सहित बलि के शरीर को भी अपने तीन पगों में नाप लिया था।

नरक चतुर्दशी मनाए जाने के संबंध में मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने प्रागज्योतिषपुर के राजा नरकासुर नामक अधर्मी राक्षस का वध करके न केवल पृथ्वीवासियों को, बल्कि देवताओं को भी उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी।

अपनी शक्ति के घमंड में चूर नरकासुर शक्ति का दुरुपयोग करते हुए स्त्रियों पर भी अत्याचार करता था और उसने 16000 मानव, देव एवं गंधर्व कन्याओं को बंदी बना रखा था। देवों और ऋषि-मुनियों के अनुरोध पर भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा के सहयोग से नरकासुर का संहार किया था और उसके बंदीगृह से 16000 कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी।

नरकासुर से मुक्ति पाने की खुशी में देवगण व पृथ्वीवासी बहुत आनंदित हुए और उन्होंने यह पर्व मनाया गया। माना जाता है कि तभी से इस पर्व को मनाए जाने की परम्परा शुरू हुई।

धनतेरस, नरक चतुर्दशी तथा दिवाली के दिन दीपक जलाए जाने के संबंध में एक मान्यता यह भी है कि इन दिनों में वामन भगवान ने अपने तीन पगों में संपूर्ण पृथ्वी, पाताल लोक, ब्रह्मांड व महादानवीर दैत्यराज बलि के शरीर को नाप लिया था और इन तीन पगों की महत्ता के कारण ही लोग यम यातना से मुक्ति पाने के उद्देश्य से तीन दिनों तक दीपक जलाते हैं तथा सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी का पूजन करते हैं।

यह भी कहा जाता है कि बलि की दानवीरता से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने बाद में पाताल लोक का शासन बलि को सौंपते हुए उसे आशीर्वाद दिया था कि उसकी याद में पृथ्वीवासी लगातार तीन दिन तक हर वर्ष उनके लिए दीपदान करेंगे।

नरक चतुर्दशी का संबंध स्वच्छता से भी है। इस दिन लोग अपने घरों का कूड़ा-कचरा बाहर निकालते हैं। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व तेल एवं उबटन लगाकर स्नान करने से पुण्य मिलता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

 

Share

Recent Posts

जीआईटीएम गुरुग्राम ने उत्तर भारत में शीर्ष प्लेसमेंट अवार्ड अपने नाम किया

नवीन शिक्षण पद्धतियों, अत्याधुनिक उद्यम व कौशल पाठ्यक्रम के माध्यम से, संस्थान ने अनगिनत छात्रों…

March 19, 2024

बिहार के नींव डालने वाले महापुरुषों के विचारों पर चल कर पुनर्स्थापित होगा मगध साम्राज्य।

इतिहासकार प्रोफ़ेसर इम्तियाज़ अहमद ने बिहार के इतिहास पर रौशनी डालते हुए बताया कि बिहार…

March 12, 2024

BPSC : शिक्षक भर्ती का आवेदन अब 19 तक, बिहार लोक सेवा आयोग ने 22 तक का दिया विकल्प

अब आवेदन की तारीख 15 जुलाई से 19 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।

July 17, 2023

जियो ने दिल्ली के बाद नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में ट्रू5जी सर्विस शुरु की

पूरे दिल्ली-NCR में सर्विस शुरु करने वाला पहला ऑपरेटर बना

November 18, 2022

KBC 14: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कौन थे, जिन्होंने इंग्लैंड में भारत को अंतिम बार एक टेस्ट सीरीज जिताया था?

राहुल द्रविड़ की अगुवाई में टीम इंडिया ने 1-0 से 2007 में सीरीज़ अपने नाम…

September 23, 2022