कोलंबो, 16 नवंबर (आईएएनएस)| श्रीलंका में शनिवार को आठवें राष्ट्रपति चुनाव के लिए 80 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। देश अभी भी लगभग तीन दशक लंबे गृहयुद्ध और सात महीने पहले ईस्टर के दिन यहां हुए आतंकी हमले के घावों से उबर रहा है। संडे टाइम्स के अनुसार, मतदान होने के बाद मतपेटियों को मतगणना केंद्रों तक पहुंचाया गया। कुल 12,845 मतदान केंद्रों में सुबह सात बजे से मतदान शुरू हुआ।
सत्तारूढ़ न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) गठबंधन के साजित प्रेमदासा (52) और श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (एसएलपीपी) के गोटाभाया राजपक्षे (70) के बीच मुख्य मुकाबला है। इसके अलावा 35 उम्मीदवार भी अपना भाग्य इस मतदान में अजमा रहे हैं।
1982 के बाद ऐसा पहली बार है, जब राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक दावेदार मैदान में हैं। 2015 में केवल 18 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
गोटाभाया राजपक्षे एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जिन्होंने उस दौरान श्रीलंका के रक्षा विभाग की कमान संभाली थी, जब उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति (2005-2015) थे। इसके अलावा जब श्रीलंका ने 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ अपना युद्ध समाप्त किया तब भी वह रक्षा विभाग के प्रमुख रहे।
हलांकि, महिंदा राजपक्षे की वर्ष 2015 की हार के बाद इस परिवार का राजनीतिक भविष्य लुप्त होता दिखाई दे रहा था, लेकिन इस साल 21 अप्रैल को ईस्टर के रोज हुए हमलों के बाद से गोटाभाया की स्थति काफी मजबूत हुई है। इन हमलों में 269 लोग मारे गए थे।
चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने खुद को सिंहली बौद्ध बहुमत के राष्ट्रवादी और चैंपियन के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि अप्रैल के हमलों के मद्देनजर मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा का वादा भी किया।
दूसरी ओर लिट्टे द्वारा मई 1993 में मारे गए 1989 में राष्ट्रपति बने रणसिंघे प्रेमदासा के पुत्र साजित प्रेमदासा ने मुस्लिम और तमिल अल्पसंख्यकों के लिए लड़ने का संकल्प लिया है।
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