नई दिल्ली, 7 जनवरी (आईएएनएस)| एक दौर था जब भारतीय बैडमिंटन में ओलम्पिक पदक विजेता सायना नेहवाल के नाम की ही गूंज होती थी। समय के साथ सायना ढलान पर गईं, लेकिन उनके हाथ से गिरते बैडमिंटन की बागडोर को पीवी सिंधु ने संभाल लिया। रियो ओलिम्पक की रजत पदक विजेता ने 2019 में भारत को विश्व चैम्पियनशिप में पहला स्वर्ण पदक भी दिलाया, लेकिन सायना की ढलान को संभालने वाली सिंधु अब खुद लड़खड़ाती दिख रही हैं।
नए साल में उनके सामने चुनौती है तो यही कि वह एक बार फिर साबित करें कि वह अभी भी भारतीय बैडमिंटन की परिचायक हैं। यह साल सिंधु के लिए हर लिहाज से अहम है, क्योंकि इसी साल जापान की राजधानी टोक्यो में ओलम्पिक खेलों का आयोजन भी होना है।
सिंधु के बीते साल के प्रदर्शन पर गौर किया जाए तो विश्व चैम्पियन बनने के बाद से उनके हिस्से कोई भी ट्रॉफी नहीं आई और कई बार तो वह टूर्नामेंट के पहले ही दौर में बाहर हो गईं।
पिछले साल अगस्त के बाद से सिंधु के खराब फॉर्म को देखकर कुछ लोग ऐसा मानने लगे हैं कि सिंधु का खेल अब अवसान पर है, यह हालांकि समय ही बताएगा। वह अभी 24 साल की हैं और वह ओलम्पिक रजत पदक जीतने के अलावा विश्व चैंपियनशिप में तीन पदक और कई खिताब अपने नाम कर चुकी हैं।
खुद सिंधु भी जानती हैं कि अभी उनके अंदर काफी बैडमिंटन बचा हुआ है और अपने खोए हुए आत्मविश्वास को हासिल करने के लिए उन्हें केवल बस एक खिताबी जीत की तलाश है और इसी तलाश पर नजरें रखते हुए सिंधु मंगलवार से शुरू हो रहे मलेशिया मास्टर्स सुपर 500 टूर्नामेंट में उतरेंगी।
इस टूर्नामेंट में सिंधु अगर रूस की येवगेनिया कोसेत्सकाया के खिलाफ पहले दौर की बाधा पार कर लेती हैं तो क्वार्टर फाइनल में उन्हें दुनिया की नंबर एक चीनी ताइपे की ताइ जू यिंग के खिलाफ उतरना पड़ सकता है।
इसके बाद उन्हें 14 से 19 जनवरी तक इंडोनेशिया मास्टर्स में भाग लेना है। इंडोनेशिया मास्टर्स के पहले दौर में उनका सामना जापान की आया ओहरी से होना है। ओहरी की बाधा के बाद सिंधु के सामने सायना और जापान की सयाका ताकाहाशी के बीच होने वाले मैच की विजेता होगी।
इंडोनेशिया मास्टर्स के अलावा इस साल टोक्यो ओलम्पिक से पहले और भी कई ऐसे टूर्नामेंट्स हैं, जिसमें सिंधु भाग लेकर अपने आप को एक बार फिर ओलम्पिक स्वर्ण पदक की दावेदार के रूप में स्थापित कर सकती हैं।
इन टूर्नामेंट्स में 21 से 26 जनवरी तक थाईलैंड ओपन, 18 से 23 फरवरी तक स्पेन मास्टर्स, तीन से आठ मार्च तक जर्मन ओपन, 11 से 15 मार्च तक ऑल इंग्लैंड ओपन, 17 से 22 मार्च तक स्विस ओपन, 24 से 29 मार्च तक इंडिया ओपन, 31 मार्च से पांच अप्रैल तक मलेशिया ओपन, 28 अप्रैल से तीन मई तक न्यूजीलैंड ओपन, दो से सात जून तक आस्ट्रेलिया ओपन, नौ से 14 जून तक थाईलैंड ओपन, 16 से 21 जून तक इंडोनेशिया ओपन और 23 से 28 जून तक अमेरिकी ओपन टूर्नामेंट होने हैं।
इस साल 24 जुलाई से नौ अगस्त तक ओलम्पिक खेल होने हैं और ये सभी टूर्नामेंट इससे पहले होने हैं।
सिंधु का पूरा ध्यान सात महीने बाद होने वाले ओलम्पिक खेलों पर है। इसके लिए वह खुद को फिट और तरोताजा रखना चाहेंगी। तैयारियों को मजबूती देने के लिए इस साल वह कुछ टूर्नामेंट्स से दूर भी रह सकती हैं।
राजीव गांधी खेल रत्न और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित की जा चुकीं सिंधु पिछले साल ऑल इंग्लैंड ओपन में पहले दौर में, इंडिया ओपन में सेमीफाइनल में, मलेशिया ओपन में दूसरे दौर में, सिंगापुर ओपन में सेमीफाइनल में, इंडोनेशिया ओपन में फाइनल में, आस्ट्रेलियन ओपन में दूसरे दौर में, जापान ओपन में क्वार्टर फाइनल में, चीन और डेनमार्क ओपन में दूसरे दौर में, कोरिया और चीन ओपन में पहले दौर में और इंडोनेशिया मास्टर्स में क्वार्टर फाइनल में हार गई थीं।
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