भोपाल, 5 नवंबर (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जहां वीर सावरकर को भारतरत्न दिए जाने की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस ने नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। भाजपा के लिए वैचारिक जमीन तैयार करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने वैचारिक मोर्चाबंदी पर कदमताल तेज कर दी है।
पार्टी गांधीवादी विचार को जन-जन का विचार बनाने की कोशिश में जुट गई है। आगामी समय में संघ के प्रचारकों की तरह कांग्रेस के प्रशिक्षित कार्यकर्ता गांधी के विचार का प्रचार करते नजर आएं तो अचरज नहीं होगा।
मौजूदा दौर की राजनीति में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी विचारधारा को जनता की विचारधारा बनाने की है। पार्टी की जनता से दूरी बढ़ी और उसी का नतीजा है कि कांग्रेस का जनाधार लगातार सिकुड़ता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, उसके मुख्य विरोधी दल भाजपा का जनाधार तो बढ़ ही रहा है, साथ में उसकी जमीनी पकड़ भी मजबूत हो रही है। इसका कारण ‘संघ’ है, जो भाजपा की राह आसान करने के लिए हिंदूवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में लगा है।
कांग्रेस की विचारधारा को महात्मा गांधी की विचारधारा का प्रतिबिंब माना जाता है। ऐसे में कांग्रेस का मत है कि गांधी की विचारधारा के जरिए ही गोडसे और सावरकर की विचारधारा के अंतर को जनता के सामने लाकर जमीनी पकड़ मजबूत की जा सकती है।
कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो बीते साल के विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकारें बनने के बाद तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने की इच्छा जाहिर करते हुए राज्य प्रभारियों से पहल करने को कहा था।
पार्टी कार्यकर्ताओं को कैसे प्रशिक्षित किया जाएगा, इसके लिए मैशिगन बिजनेस स्कूल से एमबी की पढ़ाई कर लौटे कांग्रेस प्रशिक्षण विभाग के प्रमुख सचिन राव ने एक कार्ययोजना तैयार की।
प्रशिक्षण कार्यक्रम कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि उसमें पार्टी और गांधी की विचारधारा सवरेपरि है, साथ में संघ से जुड़े रहे नेताओं की विचारधारा का तुलनात्मक अध्ययन भी इसमें मौजूद है। कांग्रेस पूरी तरह इस प्रशिक्षण के जरिए जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की ऐसी फौज तैयार करना चाह रही है, जो कांग्रेस और गांधी को तो बेहतर तरीके से जाने ही, साथ में भाजपा और संघ को सीधे जवाब दे सके और उनकी सोच को उजागर कर सके।
राव के साथ इस अभियान में प्रशिक्षण विभाग के सचिव महेंद्र जोशी भी सक्रिय हैं।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे गांधी की कार्ययोजना पर असर के आसार बने और मुहिम कुछ थमती नजर आई, मगर मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बावरिया ने अपनी टीम के साथ कार्ययोजना पर अमल जारी रखा। इसमें बावरिया की टीम के प्रमुख सदस्य राट्रीय सचिव (प्रदेश के प्रभारी सचिव भी) सुधांषु त्रिपाठी ने राज्य में प्रशिक्षण शिविर करने के लिए जमीनी तैयारी की और उसके बाद उन क्षमतावान कार्यकर्ताओं का चयन किया, जो गांधी और कांग्रेस के विचार के हिमायती हैं।
पार्टी की रणनीति के अनुसार, देश का पहला इस प्रकार का शिविर मध्यप्रदेश के देवास जिले के मुंजाखेड़ी गांव में चल रहा है। इसमें कुल 90 कार्यकर्ता प्रशिक्षण पा रहे हैं, जिनमें मध्यप्रदेश के 60 और गुजरात के 30 कार्यकर्ता हैं, जो राज्य के मुख्य प्रशिक्षक होंगे। इसमें गांधी की विचारधारा और सावरकर की विचारधारा के अंतर का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
प्रदेश प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा, “कांग्रेस में शिविर लगते रहे हैं, इनका मकसद कांग्रेस की विचारधारा जो गांधी की विचारधारा का प्रतिबिंब है, उसे सभी कार्यकर्ताओं तक पहुंचाना होता है।”
उन्होंने आगे कहा, “अब यह शिविरों का सिलसिला नई कार्ययोजना के तहत किया गया है, जिसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हुई है।”
नई रणनीति में कांग्रेस का जोर संघ को निशाने पर लेने का है? इसको लेकर बावरिया ने कहा, “इन शिविरों के जरिए कार्यकर्ताओं को कांग्रेस की विचारधारा और दीगर राजनीतिक दल की संकीर्णता वाली सोच से समाज और देश को पहुंच रहे नुकसान से अवगत कराया जाएगा।”
सूत्रों का कहना है कि प्रशिक्षण में चयनित 90 कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं। यह बाद में जिला, विकासखंड के स्तर पर जाकर अन्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देंगे।
आठ अक्टूबर तक चलने वाले इस शिविर में सचिन राव कार्यकर्ताओं को गांधी के जीवन के अनुसार, दिनचर्या का पाठ पढ़ा रहे हैं। यहां सावरकर के उस अंतिम पत्र की एक-एक लाइन का अर्थ प्रशिक्षणार्थियों को बताया जा रहा है, जिसे सावरकर का माफीनामा कहा जाता है।
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