संस्कृत विश्व सम्मेलन में जुटेंगे अमेरिका-अरब सहित 17 देशों के प्रतिनिधि

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नई दिल्ली, 26 अक्टूबर, (आईएएनएस)| संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाकर उसके जरिए भारतीय संस्कृति को घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में काम कर रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संस्था ‘संस्कृतभारती’ बड़ा आयोजन करने जा रही है। संस्कृत भारती की ओर से ओर से 9 से 11 नवंबर के बीच दिल्ली के छतरपुर मंदिर परिसर में पहला विश्वसम्मेलन आयोजित होगा। जिसमें अमेरिका, इंग्लैंड, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, रूस, न्यूजीलैंड सहित 17 देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। अरब देशों के प्रतिनिधि भी हिस्सा लेंगे।

इससे पूर्व संस्कृत भारती के होने वाले सम्मेलन में विदेशी प्रतिनिधि भाग नहीं लेते थे। मगर संगठन ने दुनिया में संस्कृत के प्रति बढ़ी उत्सुकता को देखकर यह विश्वसम्मेलन आयोजित करने की पहल की है। इसमें भाषा के प्रसार के लिए तीन वर्षो की रणनीति बनाई जाएगी।

इस सम्मेलन के लिए अब तक चार हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। रजिस्ट्रेशन उन्हीं लोगों का हुआ, जो संस्कृत भाषा बोलना जानते हैं और दिल्ली आने-जाने का खर्च खुद उठाएंगे। सम्मेलन के लिए गठित स्वागत समिति के अध्यक्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन हैं।

संस्कृत भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीश देवपुजारी ने शनिवार को ‘आईएएएनस’ को बताया कि नौ नवंबर को सुबह नौ बजे केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मुरलीधरन प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। आम जन यहां आकर ‘संस्कृत में विज्ञान’, संस्कृत डॉक्यूमेंट्री, पांडुलिपियां, संस्कृतशिलालेखों, कवि श्रेष्ठ कालिदास के जीवन जैसे विषयों पर प्रदर्शनी देख सकेंगे।

उन्होंने बताया कि नौ नवंबर को 11 बजे से विश्वसम्मेलन शुरू होगा। इस मौके पर संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी उद्बबोधन करेंगे और केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पुस्तक का विमोचन करेंगे। 10 नवंबर को सायं साढ़े चार बजे से सार्वजनिक सत्र होगा, जिसमें संस्कृत से प्रेम रखने वाले आम जन भी भाग ले सकते हैं। इस सत्र की अध्यक्षता महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी करेंगे। नौ नवंबर को संस्कृत के लोकनृत्यों और 10 नवंबर को शास्त्रीय नृत्य का सोनल मानसिंह के नेतृत्व में प्रदर्शन होगा। यह कार्यक्रम प्रतिदिन सायं साढ़े सात से साढ़े आठ बजे के बीच होगा। उन्होंने बताया कि 11 नवंबर को समाजोपयोगी और विश्व में संस्कृत विषय पर चर्चा होगी।

संगठन महामंत्री देवपुजारी ने बताया कि भारत के 583 जिलों में संस्कृत भारती कार्य कर रही है। 111 पूर्णकालिक कार्यकर्ता और संगठन से जुड़े हजारों अन्य लोग स्वयंसेवक भाव से देववाणी संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने में लगे हैं। उन्होंने बताया कि एक लाख से अधिक संभाषण शिविरों के जरिए लोगों को संस्कृत बोलना सिखाया जा रहा।

 

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