कांग्रेस में संकट के बीच बतौर अंतरिम अध्यक्ष सोनिया का कार्यकाल खत्म

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सोनिया गांधी का कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर एक साल सोमवार को पूरा हो गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के हाई प्रोफाइल विद्रोह के बीच सोनिया का दूसरा कार्यकाल पूरा हुआ है।

मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद, पार्टी पंजाब में भी एक समस्या का सामना कर रही है, जहां दो सांसदों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

अपने दूसरे कार्यकाल में सोनिया गांधी अस्वस्थता के साथ-साथ पार्टी के भीतर के झगड़ों से भी जूझती रही हैं। वह ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी को तोड़ने और भाजपा में शामिल होने से रोकने में असमर्थ रहीं, जिसके कारण मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई। सोनिया दो गुटों के बीच हस्तक्षेप करके मुसीबत को टालने में असफल रहीं।

यही हाल राजस्थान में भी देखने को मिला, जहां पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बागी तेवर दिखाए, जिससे सरकार पर संकट आ गया। वहां भी कांग्रेस नेतृत्व कमजोर रहा और दोनों गुटों के बीच शांति कायम नहीं कर सका।

तीसरा राज्य, जहां कांग्रेस समस्याओं से जूझ रही है, वह है पंजाब। पार्टी दरार को कम करने की कोशिश कर रही है।

सोनिया गांधी का दूसरा कार्यकाल उनके बेटे राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के बाद शुरू हुआ और कांग्रेस वकिर्ंग कमेटी को सोनिया गांधी को छोड़कर कोई अन्य विकल्प नहीं मिला। अगस्त 2019 से ही एक तरफ पार्टी भाजपा से लड़ रही है, वहीं दूसरी ओर उसे अपने आंतरिक कलह से भी जूझना पड़ रहा है। संगठन के कामकाज में टीम राहुल गांधी के हस्तक्षेप पर भी नाराजगी है।

कांग्रेस के राज्यसभा सांसदों की 30 जुलाई की बैठक में नेतृत्व के मुद्दे पर चर्चा हुई और इस दौरान कई नेताओं ने मांग की कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापस लाया जाना चाहिए। कुछ नेताओं द्वारा चुनावी हार के कारणों पर पार्टी को आत्मविश्लेष्ण करने की मांग को लेकर विवाद खड़ा हो गया, जिसके लिए राहुल गांधी के करीबी नेताओं ने संप्रग शासन पर सवाल उठाए, जिसके बाद सोशल मीडिया पर जंग छिड़ गई। वरिष्ठ नेताओं को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बेशक अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी का एक साल का कार्यकाल सोमवार को पूरा हो जाएगा, मगर इसका अर्थ यह नहीं कि पार्टी में कोई वैक्यूम हो जाएगा। पार्टी के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं और न ही राजनीति में ऐसा होता हैं। सिंघवी ने कहा कि सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और तब तक इस पद पर रहेंगी, जब तक पार्टी अपने संविधान के हिसाब से किसी को अध्यक्ष निर्वाचित नहीं कर लेती।

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